About us

प्रदीप भट्टाचार्य की जीवटता बनी हुई है और वे अभी भी अपने द्वारा संपादित पत्रिका छत्तीसगढ़ आसपास के लिए संसाधन जुटाने और उसे बिना नागा किए हर माह छाप लेने के अपने उपक्रम में भिड़े हुए है । अपनी इसी दौड़ धूप के बीच अवकाश के क्षणों में वे बोल उठते हैं कि यह दुर्ग जिले की एकमात्र मासिक पत्रिका है जो पिछले १३ वर्षों से निरन्तर प्रकाशित हो रही है | हम नए राज्य के रूप में उदित छत्तीसगढ़ राज्य और उसकी विकास यात्रा को छापने और अपने पाठकों तक उसकी यात्रा गाथा को बताने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं । हमारे पाठक भी हमारी इस भावना से निरन्तर जुड़े हुए हैं और अपने अपने ढंग से हर कोई जानकारी देकर व प्रतिक्रिया व्यक्त कर हमारा उत्साह वर्धन कर रहे हैं । हमें अपने पाठकों, लेखकों और सहयोगियों से निरन्तर प्रेरणा मिलती है और हम और भी अधिक उत्साह से इसके हर अगले अंक को छापने में जुट जाते हैं । हर माह इसके प्रकाशन में कोई विलंब ना हो इसका ध्यान रखा जाता है । साथ ही प्रूफ और कलेवर के प्रति सदैव सतर्कता बरती जा रही है । हम कुछ सुधि पाठकों के सुझावों और आरोपों को भी ध्यान से सुनते हैं । कभी कभी हम पर आरोप भी लगते है कि हम किसी पार्टी विशेष का मुखपत्र निकाल रहे हैं पर वैसा नहीं है हम सरकार की बात को जनता तक और जनता की आकांक्षा को सरकार तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं । हमारा सरोकार किसी दल विशेष से नहीं बल्कि सत्ता में बैठी हुए सरकार से है जिसे जनता ने चुना है और जिसे जनता के प्रति उतरदायी होना है । हम शासकों प्रशासकों का ध्यान अपनी पत्रिका के माध्यम से करते है और क्षेत्र व समाज की समस्याओं को उन तक पहुंचाते है । आगे भी जो सरकार छत्तीसगढ़ प्रदेश में होगी उसे भी उसकी जिम्मेदारियों के प्रति आगाह किया जावेगा । पत्रिका का उद्देश्य केवल यशगान करना नहीं बल्कि शासन तंत्र की आलोचना करना भी है । संपादक महोदय कहते है की मेरा, लेखक मित्रों से अनुरोध है कि वे अपनी विचारधारा से समझौते ना करे, उन्हें जो लिखना है लिखे, उन्हें को कहना है कहें । न्याय संगत और तर्क संगत बातें सुनी जावेंगी और छापी जावेगी । हमें हर तरह की रचनाओं की जरूरत पड़ती है । सामयिक घटनाक्रमों और संदर्भों पर उनकी रचनाओं का छत्तीसगढ़ आस पास में स्वागत है । हमें उनकी रचनाओं की प्रतीक्षा रहती है । प्रदीप भट्टाचार्य कहते हैं कि में स्वयं एक प्रगतिशील कवि रहा हूं । इसलिए भी साहित्य की ओर मेरा हरदम रुझान रहा है । पत्रिका में आने से पहले मेंने साहित्य गोष्ठियों में खूब शिरकत की है । पत्रकारों के अतिरिक्त साहित्यकारों के साथ भी मेरे आत्मीय संबंध रहे हैं उनसे भी मेंने काफी कुछ सीखा है । में यह मानता हूं कि आज कोई भी पत्रिका साहित्य की कलम के बिना अधूरी है । अगर पत्रकारिता  हमें रोजमर्रा की घटनाओं से अवगत कराती है तो साहित्य हमें एक दिर्घकालीन विचार देता है । इसलिए भी अपने आस पास के लेखकों को लिखने का निरन्तर निवेदन किया और उनकी सामयिक रचनाओं , कविताओं को प्रकाशित किया है । अंत में वे छत्तीसगढ़ आसपास से जुड़े उन तमाम मित्रों, सहयोगियों और सहकर्मियों के प्रति अपनी कृतज्ञता अर्पित करते हैं जिनके बिना पत्रिका का १४ वें वर्ष में सफलतापूर्वक  पहुंचना नामुमकिन था । पत्रिका का यह १४ वा वर्ष है और इसकी सफलता उसके संपादक की सत्ते पर सत्ता है । अब छत्तीसगढ़ आसपास का वेबपोर्टल प्रारंभ हो गया है, जिसका लिंक है …..  www.chhattisgarhaaspaas.com

प्रकाशक : श्रीमती शेफाली भट्टाचार्य

छत्तीसगढ़ आसपास