पर्व विशेष कविता : तारकनाथ चौधुरी [छत्तीसगढ़, भिलाई-चरोदा, जिला-दुर्ग] 1 week ago मंगलमय हो पर्व फागुनी दीवाली-होली पर,मैंने लिखे थे कितने निबंध। दीप-पटाखों की बातें और रंगों के कितने छंद।। लिखता था मैं,पके फसल से आती...
होली विशेष : ‘आओ अब की होली में’ – डॉ. दीक्षा चौबे 2 weeks ago अंतस के भेद मिटाएँगे , आओ अब की होली में । हम गीत खुशी के गाएँगे , आओ अब की होली में ।। मन-आँगन में...
होली विशेष : ‘एकता और परंपराओं का संगम होली’ – यशांसु बघेल [अधिवक्ता] 2 weeks ago सूरज की मीठी धूप ने किया चेहरे को पीला, टेसू के फूलों से वातावरण लाल है। खेतों में सजा सरसों के पत्तों का हरा रंग,...
व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार एवं ‘लोकलहर’ के संपादक के 3 व्यंग्य 3 weeks ago 1. दिल्ली गरियारों की! देखी, देखी, इन सेकुलर बिरादरी वालों की शरारत देखी। जब से रेखा गुप्ता जी के सिर पर दिल्ली के मुख्यमंत्री...
इस माह की कवयित्री : दिलशाद सैफी [रायपुर, छत्तीसगढ़] 4 weeks ago {1} बसंत ऋतु तुम जब आना बसंत ऋतु तुम आना और बिखरा देना बासंती रंग प्रकृति की काया पर तुम पतझड़ के अवसाद से उबार...
इस माह के ग़ज़लकार : तारक नाथ चौधुरी 1 month ago ग़ज़ल {1} रजनी ढलने को है। स्वप्न छलने को है।। पलकों पे रुका हुआ अश्रु-कण बहने को है।। क्षितिज रक्तिम हुआ। सूरज उगने को...
इस माह के ग़ज़लकार : डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी ‘सब्र’ 3 months ago • डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी 'सब्र' • ग़ज़ल उसको कितना गुरूर है देखो, कुछ तो दिल में ज़रूर है देखो। वो समझते नहीं किसी...
कविता आसपास : तारकनाथ चौधुरी 3 months ago काश ऐसा होता - तारकनाथ चौधुरी [ भिलाई चरोदा- छत्तीसगढ़ ] बारिश की बूँदो का जादुई असर क़ब्र में सोये दानों में जान फूँक...
कविता आसपास : दुलाल समाद्दार 3 months ago • दुलाल समाद्दार [ बांग्ला-हिंदी कवि व 'मध्यबलय' के संपादक ] अस्पताल कभी कभी अस्पताल होकर आना चाहिए ताकि नये सिरे से हम जान...
ग़ज़ल : विनय सागर जायसवाल [बरेली उत्तरप्रदेश] 3 months ago इस साले नौ में सबकी ख़ुदा ख़ुश बसर करें हम सबकी इस दुआ में वो पैदा असर करें करता हूँ इल्तिजा मैं ख़ुदा से फ़कत...