व्यंग्य : ‘ घूमता ब्रम्हांड ‘ – श्रीमती दीप्ति श्रीवास्तव [भिलाई छत्तीसगढ़] 1 year ago कभी-कभी सिर घूमने लगता है अपना शरीर अपने आपे में नहीं रहता चक्कर खाकर गिरने की नौबत आ जाती है । हमें तब ब्रह्मांड नजर...
दुर्गाप्रसाद पारकर की कविता संग्रह ‘ सिधवा झन समझव ‘ : समीक्षा – डॉ. सत्यभामा आडिल 1 year ago दुर्गाप्रसाद पारकर का कविता संग्रह- "सिधवा झन समझव"- छत्तीसगढ़ी में छंदमुक्त कविताओं का सुंदर संकलन है!हिंदी बेल्ट में--जनपदीय भाषा में पद रचना तुकांत,गेय या छंद...
लघुकथा : रौनक जमाल [दुर्ग छत्तीसगढ़] 2 years ago 🌸 इजहार, इंकार और वोह कॉलेज को खुले हुए कुछ ही हफ़्ते गुजरे थे कॉलेज में नई-नई दोस्तीयो, इश्क व आशिकी का बाजार गर्म था...
लघुकथा : डॉ. दीक्षा चौबे [दुर्ग छत्तीसगढ़] 2 years ago 🌸 काम पर निर्माणाधीन इमारत में मजदूरी करती इमरती आज अपने चार वर्षीय बेटे दीनू को भी साथ ले आई थी । उसकी तबीयत ठीक...
🌸 14 नवम्बर बाल दिवस पर विशेष : प्रभा के बालदिवस : प्रिया देवांगन ‘ प्रियू ‘ 2 years ago ▪️ बाल कहानी प्रभा अउ शालू दूनोंझन सहेली रिहिसे। सँघरा खेलय-कूदय। पर दूनोंझन स्कूल नइ जावत रहैं। सबले बड़का समस्या की वो मन देवार जाति...
💞 कहानी : अंशुमन रॉय 2 years ago 💞 मौत •अंशुमन रॉय [ •बठिंडा, पंजाब ] आज बहुत दिन के बाद वह कमरा खुला. सामने थी एक टूटी सी मेज, साथ में एक...
■लघुकथा : ए सी श्रीवास्तव. 3 years ago ♀ कही अनकही उन्हें अपना वजूद ड्राइंग रूम के कोने में रखी पुरानी कुर्सी की तरह लगता है जिसकी घर में एक जगह तो निश्चित...
■लघुकथा : तारक नाथ चौधुरी. 3 years ago ♀ जुगत उसको चिढ़ थी तो केवल इस जुमले से-"जो मजा़ इंतजा़र में है वो विसाल- ए-यार में नहीं।वक़्त की पाबंद शमशाद को किसी की...
■बाल कहानी : टीकेश्वर सिन्हा ‘गब्दीवाला’. 3 years ago गर्मी का मौसम था। स्कूलों की छुट्टियाँ हो चुकी थी। प्रिया का भी स्कूल जाना बंद हो गया था। कक्षा तीसरी की प्रिया बहुत सुंदर...
■होली आगमन पर दो लघु कथाएं : महेश राजा. 3 years ago ♀ पीछे छूटता हुवा गांव ट्रेन ने गति पकड ली थी।टेलीफोन के खंभे ,नदी,पहाड़ सब पीछे छूट रहे थे।विवेकचंद्रजी अपनी पत्नी और दो बच्चे अमित...