■75 भारत अमृत महोत्सव पर विशेष : ■रितु शर्मा.
●है जश्न आज़ादी का.
-रितु शर्मा.
[ रोहिणी पुरम-दिल्ली ]
यूँ ही नहीं आजादी का जश्न मना लेते हैं
दी गयीं थीं जाने कितनी कुर्बानियां
भारत के सच्चे वीर सपूतों ने खाईं थीं
जेलों में कितने दिन ख़ुश हो रोटियां
तिरंगा यूँ ही मस्त नहीं लहराता है
बड़ी बड़ी थीं कितनी कुर्बानियां
आजाद भगत सिंह महात्मा गाँधी
तोड़ी थीं भारत माता की बेड़ियाँ
आज गुलाम नहीं हैं और न होंगे
याद रखनी होंगी सबकी कुर्बानियां
बच्चे बच्चे को पाठ पढ़ना होगा
देश न बिके इसको लड़ना होगा
रानी लक्ष्मीबाई को कौन भूल सकेगा
सुभाष चंद्र बोस को कौन भूल सकेगा
कितनों ने खाईं थीं लाठियाँ
और कितनों ने खाईं थीं गोलियां
अब देश हमारे हवाले वे छोड़ गए
जश्न मनाना तुम आजादी का
बूंद बूंद का कर्ज याद रखना है
यूँ ही दिन नहीं है यह आजादी का
भारत को कभी नहीं झुकने देंगें
ईंट का जबाब पत्थर से है देना
वन्देमातरम वन्देमातरम
जय हिन्द है यह जश्न आजादी का
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