■डॉ. रीता दास राम की दो कविताएं.
●कविताएं.
-डॉ. रीता दास राम.
[ मुंबई-महाराष्ट्र.]
♀ 1.झूठ
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झूठ को जब
बोला जा रहा है सच की तरह
सच से खामोश उम्मीद होती है कि
अदृश्य हो जाए
पेशोपेश में पड़ी स्वाभाविकता
बेचैन है
अपनी प्रकृति से मजबूर
सच असमंजस में है कि जाऊं कहां
और झूठ परेशान कि
स्वत: ओझल हो जाने की प्रक्रिया को
रोके तो रोके कैसे
चकित, रूक जाता है समय
नहीं ठहरती घड़ी की टिक-टिक
पृथ्वी नहीं घूमती उल्टी
नहीं होने लगता है सूरज ठंडा
चांद तारे आसमान में अडिग ही हैं बदस्तूर
संज्ञान है
हवा का अचानक उल्टी दिशा में बहना
खोदना मिट्टी
न बोए गए जड़ों की तलाश में।
♀ 2.होने का मतलब.
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बोझिल सा वातावरण
चुभता एकांत
बिखरी पड़ी है खराश
मन के आसपास
ना पढ़ने देती है ना लिखने
कहती है कुछ कुछ
बहुत कुछ बुनती है
ठहरी पड़ी हूँ ड्योढ़ी में
देखती विस्तार
बंद आंखों से
सब कुछ साफ साफ
गुजरती भाषा को
लिख रहा है समय
चल रही हूं
जैसे चलता है काल, सशब्द
एक आर्तनाद है
बीहड़ रास्तों को पुकारता
जहां रोशनी भी
पूछ कर आती है
सुनती हूँ आवाजें
गूँजती बातें
तुम्हारे भीतर दबी पड़ी
सासों की आहट में
तुम्हारी पंक्तियां दोहराती हूं
बादल, चांद, तारे, सूरज
अंतरिक्ष में हैं सभी
पृथ्वी में अपने होने का मतलब
जीना चाहती हूं।
【 कवयित्री व लेखिका डॉ. रीता दास राम की ये पहली रचना ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ में प्रकाशित है. प्रकाशित कविता संग्रह- ‘तृष्णा’,’गीली मिट्टी के रूपाकार’. सम्मान- ‘शब्द प्रवाह साहित्य सम्मान’,’अभिव्यक्ति गौरव सम्मान’,’हेमंत स्मृति सम्मान’,’शब्द मधुकर सम्मान’,’आचार्य लक्ष्मीकांत मिश्र राष्ट्रीय सम्मान’ औऱ’हिंदी अकादमी,मुंबई द्वारा महिला रचनाकार सम्मान’. डॉ. रीता जी की कविताएं वेब पत्रिका, ई-मैगज़ीन, ब्लॉग,पोर्टल के अलावा ‘रेडियो सिटी’ में भी नियमित रूप से आते रहती है. डॉ. रीता जी कविता के साथ-साथ कहानी,संस्मरण, लेख,स्तंभ लेखन,साक्षात्कार आदि विधाओं में भी साहित्यिक योगदान दे रही हैं.
●नागपुर में जन्मी डॉ. रीता दास राम एम.ए, एम.फिल, पीएचडी[हिंदी],मुंबई विश्वविद्यालय से अध्ययन के बाद वर्तमान में मुंबई निवासरत है. ●कविता के प्रति अपनी राय अवश्य लिखें. -संपादक ]
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