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- ■हिंदी दिवस आज : ■हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने विदेशी मानकर किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया-डॉ. राजेंद्र प्रसाद.
■हिंदी दिवस आज : ■हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने विदेशी मानकर किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया-डॉ. राजेंद्र प्रसाद.
♀ राजभाषा हिंदी-देश के माथे की बिंदी.
♀ डॉ. नीलकंठ देवांगन.
[ शिवधाम कोडिया,जिला-दुर्ग ]
प्राचीन ग्रंथों में भारत को पृथ्वी की प्रथम और परम संस्कृति कहा गया है | यहां की भाषा भी प्राचीन है | हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा होने के साथ करोड़ों लोगों की मातृभाषा भी है | यह बहुत समृद्ध है, पुष्ट है | भाषा वह साधन है जिसके माध्यम से सोचते हैं और अपने विचारों को व्यक्त करते हैं | भाषा शब्द संस्कृत की ‘भाष्’ धातु से बना है जिसका अर्थ है- बोलना या कहना | भाषा वक्ता के विचारों को श्रोता तक पहुंचाती है | यह विचार विनियम का साधन है | जनता की संपति है |
भाषा की अहमियत- हिंदी हमारी राजभाषा है | हमें हिंदी बोलने, हिंदी लिखने में नहीं हिचकना चाहिए | हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए | भारतेंदु हरिश्चंद्र की उक्ति समीचीन और सार्थक है-
निज भाषा उन्नति अहे
सब उन्नति को मूल
बिन निज भाषा ज्ञान के
मिटत न हिय को सूल
हिंदी का वर्चस्व कायम रखने हमें अब सारे कार्य हिंदी में करना होगा | भाषाएं सीखना अलग बात है | मस्तिष्क के लिए बहुत अच्छा है | दो तीन भाषाओं में पारंगत हो जाएं | कोई हर्ज नहीं | लेकिन ऐसा हरगिज न करें जो अपनी ही भाषा को दूसरी भाषा से कमतर मान लें | कई ऐसे अवसर आते हैं जो अपनी भाषा है, जिस भाषा में हम सोचते समझते हैं, जिस पर हमारी पकड़ है, उसे ही किनारा कर देते हैं | थोड़ी सी अंग्रेजी आई, दूसरों को देख, उसी भाषा में व्यवहार कर अपनी शान समझते हैं यह अपनी भाषा के साथ अन्याय है |
मातृभाषा महत्वपूर्ण है और अनिवार्य है | | यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कार की सच्ची संवाहक, संप्रेषक,, परिचायक है | हम हिंदुस्तानी हैं | हिंदी हमारी भाषा है | इसी से देश की पहचान है | हम अपनी पहचान पर गर्व करें |
समृद्ध साहित्य- भाषा का विकास उसके साहित्य पर निर्भर करता है | हिंदी साहित्य काफी समृद्ध है | भाषा के अद्ध्यन के लिए भाषा विज्ञान सारी सामग्री साहित्य से लेता है | आदि काल से आधुनिक काल तक का साहित्य हमारे सामने है | हिंदी भाषा के ऐतिहासिक विकास का अद्ध्यन साहित्य के आधार पर ही होता है | तुलनात्मक और ऐतिहासिक दोनों ही अद्ध्यनों में साहित्य की सहायता लेनी पड़ती है | हिंदी की सभी विधाओं पर प्राचीन से आधुनिक तम साहित्य उपलब्ध है |
हिंदी साहित्य में जहां एक मौलिक रचनात्मकता का योगदान रहा है, वहीं अनुवाद कर्म ने भी हिंदी की समृद्धि में काफी योगदान दिया है |
विशाल शब्द भंडार- सबको अपनी बात कहनी होती है | यह अभिव्यक्ति अपनी भाषा में ही दमदार तरीके से हो सकती है , किसी विदेशी भाषा में नहीं | हिंदी में शक्ति है, सामर्थ्य है, आकर्षण है, असर है | इसका व्याकरण, रस, छंद, अलंकार, मुहावरे, कहावतें समर्थ हैं, सारगर्भित हैं | इसके शब्द महत्वपूर्ण हैं | शब्द भाषा का एक हिस्सा होता है | इसके बगैर हम कुछ भी व्यक्त नहीं कर सकते | यह सही है कि भावनाएं शब्दों की मोहताज नहीं होतीं | देह की भी एक भाषा होती है, संकेत की भी भाषा होती है | मगर इन भाषाओं को हम शब्दों में ही ग्रहण करते हैं | हिंदी भाषा के शब्द भंडार बहुत विशाल हैं | जितने ज्यादा शब्द होंगे, उतने अच्छे ढंग से अपनी बात रख सकेंगे | हमारी भाषा में एक शब्द के कई समानार्थी , विलोम शब्द हैं जो इसे शक्तिशाली बनाते हैं | हिंदी का वर्तमान स्वरूप पिछले डेढ़ सौ वर्षों से काफी विकसित हुआ है | इसके पीछे ब्रज, अवधी जैसी बोलियों एवं परिवेश की भाषाओं- मराठी, मलियालम, पंजाबी, तमिल का लंबा इतिहास रहा है है |
लिपि- हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी लिपि है | इसे नागरी लिपि भी कहते हैं | इसमें कुल 52 वर्ण हैं जिनमें 11 मूल स्वर वर्ण, 33 मूल व्यंजन, 2 उच्छिप्त, 2 अयोगवाह और 4 संयुक्ताक्षर हैं | वैसे भारत की प्राचीन लिपि ब्राम्ही थी जो परिवर्तित और विकसित होते नागरी लिपि में स्वरूप बद्ध है |
14 सितंबर ऐतिहासिक दिन- स्वतंत्र भारत के इतिहास में 14 सितंबर बहुत महत्वपूर्ण दिन है | इस दिन संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था | हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने, प्रचलित करने 1953 के पश्चात 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस मनाया जाता है |
हिंदी दिवस पर हिंदी प्रोत्साहन सप्ताह का आयोजन किया जाता है | हिंदी में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों /विभागों/विभाग प्रमुखों को पुरस्कृत किया जाता है | सरकार द्वारा राजभाषा कीर्ति पुरस्कार योजना के तहत शील्ड एवं हिंदी लेखन के लिए राजभाषा गौरव पुरस्कार प्रदान किया जाता है |
हिंदी के विकास के लिए राजभाषा विभाग का गठन किया गया है जो इस दिशा में प्रयत्नशील रहता है कि सरकार के अधीन कार्यालयों में अधिक से अधिक हिंदी में कार्य हो सके |
हिंदी देश की पहचान- हिंदी सरल, सहज और सुगम भाषा है | यह हमारे पारंपरिक ज्ञान, प्राचीन सभ्यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक सेतु है | यह दुनिया में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है | संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिंदी का एक विशेष स्थान है | सबसे महत्वपूर्ण है स्वभाषा |दुनिया में 175 से अधिक विश्व विद्यालयों में हिंदी भाषा पढ़ाई जाती है | सूचना प्रौद्योगिकी में हिंदी का इस्तेमाल बढ़ रहा है | हिंदी विश्व में एक प्रभावशाली भाषा है | अब तो विदेशी भी हमारी भाषा सीखना चाहते हैं | शुभ संकेत है | जरूरत है – इस माध्यम के बेहतर इस्तेमाल की |
चुनौती- अनेक भाषाओं और बोलियों वाले देश में हिंदी को हिंदुस्तान की भाषा बनाना एक बड़ी चुनौती है | देश में तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के साथ अंग्रेजी पूरे देश पर हावी होती जा रही है | देश की राजभाषा होने के बावजूद आज हर जगह अंगेजी का वर्चस्व कायम है | हिंदी जानते हुए भी कई लोग हिंदी में बोलने, पढ़ने या काम करने में हिचकते हैं |
जरा सोचें- अपने कामकाज और व्यवहार के लिए हम पराई भाषा पर आश्रित क्यों रहें? देश दुनिया के करोड़ों हिंदी भाषी इंटरनेट पर सक्रिय हैं | सभी हिंदी में लिखने पढ़ने लगें तो हिंदी छा जायेगी | कंप्यूटर, मोबाइल फोन, टेबलेट पर हिंदी में काम करना अब बच्चों का खेल है |
महत्वपूर्ण है स्वभाषा- हिंदी भाषा की गरिमा को पुनर्जीवित करने हमें सारे कार्य हिंदी में करने होंगे | अभी भी कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, प्रपत्र अंग्रेजी में मिलते हैं, भरने पड़ते हैं | अब सब हिंदी भाषा में ही उपलब्ध कराने होंगे | संकल्प के साथ सभी कार्य स्वभाषा में करें | सामान्य कामकाज, दस्तखत, पत्र व्यवहार, फोन पर बात हिंदी में करें | दुकान प्रतिष्ठान का नाम हिंदी में रखें | पारिवारिक, सामाजिक, धार्मिक आयोजनों के निमंत्रण पत्र हिंदी में छपवायें | संचालन हिंदी में करें | महत्वपूर्ण है अपनी भाषा |
देश की आत्मा है हिंदी- कई ताकतें हिंदी को हटाने मिटाने की कोशिशें कीं लेकिन उनकी हर कोशिशें नाकामयाब रहीं | हर चुनौतियों का मजबूती से सामना कर अपने वर्चस्व को कायम रखी | हिंदी तो देश की आत्मा है | स्वाभिमानी हिंदी प्रेमियों एवं सरकार के सार्थक प्रयासों से स्वभाषा के प्रति रुझान बढ़ता गया है | प्रोत्साहन योजनाओं से हिंदी के विस्तार को बढ़ावा मिल रहा है |
अब हिचक छोड़ें | बेहिचक हिंदी बोलें, लिखें, पढ़ें | देश के माथे पर हिंदी की बिंदी लगाएं | देश की अपनी एक राष्ट्र भाषा होगी जो आम और खास का भेद समाप्त कर सबके संवाद का माध्यम बनेगी |
♂ लेखक संपर्क-
♂ *84355 52828