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- ■’लाल जोहार’ का प्रदर्शन. ■शंकर गुहानियोगी छत्तीसगढ़ में नवजागरण के अग्रदूत थे.
■’लाल जोहार’ का प्रदर्शन. ■शंकर गुहानियोगी छत्तीसगढ़ में नवजागरण के अग्रदूत थे.
♀ जनसंस्कृति मंच [जसम] और कल्याण महाविद्यालय[हिंदी विभाग] के सौजन्य से.
♀ प्रदर्शन और परिचर्चा
♀ फ़िल्म के निर्देशक राजकुमार सोनी के साथ शंकर गुहानियोगी के परिजन पत्नी आशा,पुत्री क्रांति और मुक्ति गुहानियोगी भी उपस्थित थे.
♀ परिचर्चा में मुख्य वक्ता थे- प्रो. आलोचक सियाराम शर्मा,साहित्यकार कैलाश वनवासी, डॉ. सुधीर शर्मा, शरद कोकास, व्यंग्यकार विनोद साव, रंगकर्मी राजेश श्रीवास्तव, जयप्रकाश नायर,सुलेमान खान, भुवाल सिंह ठाकुर,अभिषेक पटेल और इंदु शंकर मनु.
♀ संचालन अंजन कुमार और आभार अभिषेक पटेल ने किया.
■भिलाई.
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डॉक्युमेंट्री फ़िल्म ‘लाल जोहर’ का प्रदर्शन 10 अक्टूबर को जनसंस्कृति मंच के तत्वावधान में कल्याण कॉलेज के सभागार में प्रदर्शित किया गया. कार्यक्रम में किसान, मजदूर, छात्र,नौजवान, लेखक और रंगकर्मियों ने हिस्सेदारी दर्ज की.
शंकर गुहा नियोगी की पुत्री और दल्लीराजहरा नगर पालिका की पूर्व अध्य्क्ष मुक्ति गुहानियोगी ने कहा- नियोगी जी आज़ हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका शोषणमुक्त समाज का सपना आज़ भी मजदूरों, किसानों में जिंदा है. वे एक व्यक्ति नहीं धारा थे’. नियोगी की पत्नी आशा गुहानियोगी ने कहा- ‘मेरे पति ने गरीब मजदूरों, किसानों औऱ आदिवासियों के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया 30 साल बाद भी उनके बनाये मजदूरों के अस्पताल, स्कूलों और मजदूर जागरूकता के लिए किए गए कार्यों के रूप में जीवित हैं. आज समय और परिस्थियां बदल गई है, इसलिए कहना पड़ रहा है कि अब कोई दूसरा शंकर गुहानियोगी होना मुश्किल है’.
परिचर्चा में सभी प्रमुख वक्ताओं ने शंकर गुहानियोगी के बारे में विचार रखते हुए कहा- छत्तीसगढ़ में नियोगी नवजागरण के अग्रदूत थे. वे श्रम और कृषि को जोड़ने के गांधीवाद का अनुशरण कर रहे थे. नियोगी के आंदोलन में मजदूरों को जागरूक करने के साथ स्त्री चेतना भी दिखती थी. शंकर गुहानियोगी एक व्यक्ति नहीं एक विचारधारा थे. फ़िल्म ‘लाल जोहर’ उम्मीद के साथ संघर्ष को जारी रखने की प्रेरणा देती है.
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