आज ही निपटा लें बैंक से संबंधित सारा जरूरी काम, कल से दो दिन बंद रहेंगे बैंक, जाने इसके पीछे का कारण
बैंकों के जरूरी काम आज ही निपटा लें। कल से दो दिन बैंक बंद रहेंगे। यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स ने केंद्र सरकार के बैंकों के निजीकरण करने के विरोध में 16 और 17 दिसंबर को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। इसके कारण सरकारी बैंकों में दो दिन ताले लटके रहेंगे।
यूनियन के लोगों ने कहा कि केंद्र सरकार शीतकालीन संसद सत्र में बैंकिंग कंपनी अधिनियम 1970 और 1980 और बैंकिंग अधिनियम 1949 को संशोधन करना चाहती है। इसके माध्यम से बैंकों का निजीकरण करना चाहती है। उनके मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंक लगातार ऑपरेटिव लाभ अर्जित कर रहे हैं। इनका ऑपरेटिंग लाभ 2009-10 में 76,945 करोड़ रुपये था, जो 2020-21 में बढ़कर 1,97,374 करोड़ हो गये। आए दिन सरकार द्वारा गलत प्रोविजनिंग के कारण घाटा दिखाया जा रहा है।
यूनियन के पदधारियों के मुताबिक पिछले 52 वर्षों का अनुभव है कि राष्ट्रीयकृत बैंक कभी फेल नहीं हुए। निजी क्षेत्र के बैंक फेल होते रहे हैं। राष्ट्रीयकृत बैंकों ने ग्राहकों के पैसा डूबने से बचाया। कर्मचारियों के रोजगार की भी रक्षा की। कई तरह के सीएसआर के काम भी करते हैं। सरकारी बैंक दूर-दराज इलाकों में भी लोगों को सेवा दे रहे हैं। अधिकतर निजी बैंक वहां नहीं जाना चाहते हैं।
यूनियन के मुताबिक वर्ष, 2008 की विश्व व्यापक आर्थिक मंदी के कारण अमेरिका, यूरोप, फ्रांस आदि देशों में बैंक फेल होते रहे। हालांकि हमारे देश के बैंक सुदृढ़ रहे। हाल ही में निजी बैंक लक्ष्मी विलास बैंक एक विदेशी बैंक डीबीएस के हाथों बिक गया। आने वाले दिनों में यही हाल अन्य निजी बैंकों का भी हो सकता है।
नवउदारवाद की नीति 1991 से सरकार द्वारा जो भी कमेटी गठित की गई, उनका एकमात्र राग निजीकरण के पक्ष में था। बैंककर्मी अभी तक इसके विरोध में 59 हड़ताल कर चुके हैं। यह कटु सत्य है कि निजीकरण सभी समस्याओं का हल नहीं है। इससे आने वाले दिनों में शाखाओं की बंदी, कर्मचारियों की छटनी, बेरोजगारी में बढ़ोतरी, ग्राहक सेवा आदि प्रभावित होंगे।