■लघु कथा : प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
♀ संयम
♀ प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
[ पंडरिया जिला-कबीरधाम, छ. ग. ]
वर्षा बचपन से बहुत होशियार लड़की थी।वह 10वीं कक्षा की छात्रा थी। उसका मन हमेशा पढ़ाई की तरफ ही रहता था। खेलने -कूदने में भी अच्छी थी। अचानक उसकी तबियत खराब हो जाने के कारण वह 1-2 महीने स्कूल नहीं गयी और उसके क्लास के सभी बच्चें उससे आगे हो गए। वर्षा चाहकर भी बिस्तर से उठ नहीं पाती थी। बुखार के कारण वह कमजोर हो चुकी थी।वर्षा को इस बात का डर था कि कहीं वह बोर्ड क्लास में फैल न हो जाय। धीरे – धीरे ठीक होने लगी और स्कूल भी जाने लगी। वर्षा के सारे सहपाठी कहने लगे कि वर्षा तुम तो बहुत पीछे हो गयी हो। तुम इस साल कैसे पास हो पाओगी। उसके सारे सहपाठियों ने यह बात बार – बार कह कर उसके दिमाग में यही भर दिए थे कि वर्षा अनुत्तीर्ण हो जाएगी। वर्षा घर जा कर जोर – जोर से रोने लगी।
वर्षा ने सोचा कि दूसरे दिन स्कूल जा कर सब को जवाब दूँगी।दूसरे दिन जब वर्षा स्कूल गयी तो फिर एक-दो लोग सुनाने लगे। जैसे ही वर्षा कुछ बोलने वाली थी कि उसके मन में एक आवाज आई, जवाब देने से बात और बिगड़ जाएगी। क्या पता, अगर मैं सब को जवाब दूँगी और कहीं मेरा अंक कम हो जाये तो सारे सहपाठी मेरा बहुत मजाक उड़ायेंगे।
रिजल्ट आने के बाद ही पता चलेगा—।
वर्षा चुपचाप वहाँ से चली गयी।
वर्षा ने बहुत ही संयम से काम लिया और घर में खूब मेहनत करने लगी।वर्षा को क्लास में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। किसी को जवाब नहीं देना पड़ा, सब को उसका जवाब मिल चुका था।
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