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- ■श्रीराम कथा का चौथा दिवस- साधक और सिद्ध सभी को मनोकामना फल देती है.
■श्रीराम कथा का चौथा दिवस- साधक और सिद्ध सभी को मनोकामना फल देती है.
♀ शिवानंद योग निकेतन के तत्वावधान में पाँच दिवसीय श्रीराम कथा के चौथे दिन पं.नीलमणि दीक्षित के मुख वचन से कृष्णा पब्लिक स्कूल, भिलाई का सभागार राममय हुवा.
■भिलाई
शिवानंद योग निकेतन के तत्वावधान में आयोजित पाँच दिवसीय श्रीरामकथा अब समापन की ओर है। चौथे दिन सोमवार को कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती का पूजन सतीश त्रिपाठी के मंत्रोच्चार के साथ एमएम त्रिपाठी तथा पं. नीलमणि दीक्षित के करकमलों माल्यार्पण व दीपप्रज्वलित कर किया गया। एमएम त्रिपाठी तथा उनकी धर्मपत्नी कृष्णा त्रिपाठी ने ग्रंथपूजन किया। तत्पश्चात् सतीश त्रिपाठी, श्री दुबे और शिवानंद आश्रम के कार्यकर्ता दीनानाथ ने एमएम त्रिपाठी तथा नीलमणि दीक्षित का माल्यार्पण कर स्वागत व सम्मान किया।
कथा व्यास पं. नीलमणि दीक्षित (नित्य सत्संग मंडल दमोह, म.प्र.) ने अपने सुमधुर कंठ से गायन व व्याख्यान के माध्यम से महाराज दशरथ के चारों पुत्रों का नामकरण के उपरान्त वात्सल्यमयी बाल लीलाओं का वर्णन, बाल्यकाल से ही भातृत्व दिग्दर्शन, तदुपरांत मर्यादा पुरूषोत्तम प्रभु श्रीराम के अवतार की मूल अवधारणा को सार्थक करने वाले लीला चरित का प्रधान पक्ष वनगमन की कथा। भरत के शोक की पराकाष्ठा का संवदेनापूरित विवेचन कर चित्रकूट की ओर भरत का प्रजा सहित प्रस्थान करने की मार्मिक व विस्तृत व्याख्या की। जिसे सुनकर भक्तगम भाव विभोर हो धन्य-धन्य करने लगे। उन्होंने अपने उद्घोष में कहा कि अहंकार बुद्धि के नाश का कारण है इसलिए महापंडित, ओजस्वी, महान विद्वान, शक्तिशाली, चक्रवर्ती राजा होकर भी नारी शक्ति का सम्मान न करने पर उनका विनाश हुआ। उसी प्रकार हर युग में जो व्यक्ति का नारी का सम्मान न करें उसका भी विनाश अनिवार्य है यही भारतीय संस्कृति है कि नारी जाति का सम्मान हो।
एमएम त्रिपाठी ने चौथे दिन रामकथा की महत्ता का वर्णन करते हुए कहा कि रामकथा जीवन मुक्त विषयी साधक और सिद्ध सभी को इच्छित फल प्रदान करती है। रामकथा यमदूतों के मुख में कालिख पोतने वाली जीवन मुक्ति देने वाली काशी के समान है। उन्होंने यह भी बताया कि रामकथा की तुलना पुण्य सलिला गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा और मंदाकिनी से की गई है।
श्रीरामकथा के इस महत्ता को श्रवण कर सभागार में उपस्थित जनमानस मंत्र मुग्ध हो उठे। एमएम त्रिपाठी ने पं. नीलमणि दीक्षित के विषय में अपने उद्गार प्रस्तुत करने हुए कहा कि आभामंडल से शिवजी अपनी धारा प्रवाहित करना चाहते है तभी ऐसे प्रकाण्ड पंडित वेद पीठ पर विराजमान होते हैं।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से नरेश खोसला, आनंद त्रिपाठी, प्रमोद त्रिपाठी, कृष्णा त्रिपाठी व अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
कार्यक्रम को सफल बनाने में शिवानंद योग निकेतन संस्था के सभी कार्यकर्ता, कृष्णा आर्टस् एवं म्यूजिक कॉलेज की प्रध्यापिका ज्योति शर्मा, अध्यापिका धनेश्वरी साहू, ऊषा प्रांजल, ऋतु मेनन तथा समाज सेवक नरेश खोसला, मंच संचालक सुनीता त्रिपाठी तथा रमेश तिवारी का सहयोग सराहनीय रहा।
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