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■नव वर्ष आगमन पर विशेष. ■पूनम पाठक ‘बदायूँ’
♀ नया साल मनाया जाए
♀ पूनम पाठक ‘बदायूँ’
[ इस्लामनगर, बदायूँ,उत्तरप्रदेश ]
नया साल कुछ इस तरह मनाया जाए
बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया जाए ।
जो दुखी हो उनके दर्द को समझा जाए
उनकी भावनाओं को दिल से सुना जाए ।
नया साल कुछ इस तरह मनाया जाए
कुछ सुना जाए और कुछ कहा जाए।
सच के साथ सबका हक दिया जाए
कोई हो न ऐसा किसी को भी सताए ।
नया साल कुछ इस तरह मनाया जाए
भूल से भी कोई किसी को न बहकाए।
ठहरे हुए पानी में न कंकर मारा जाए
सोए हुए जीवों को न कोई जगाए ।
नया साल कुछ इस तरह मनाया जाए
कुछ हंसा जाए कुछ मुस्कुराया जाए ।
पेड़ों से गिरी पत्तियां बेकार न जाएं
क्यों न उनका खाद बना लिया जाए।
नया साल कुछ इस तरह मनाया जाए
शैतानी खेलों का अब अंत हो जाए ।
बेटियों को देवी सा अगर पूजा जाए
धोखे न हों भले ही बेटी ही माना जाए।
नया साल कुछ इस तरह मनाया जाए
भाईचारा हवाओं में भी महकाया जाए।
संकरी जंजीरों को न अब बसाया जाए
मस्तिष्कों को जरा मजबूत बनाया जाए ।
नया साल कुछ इस तरह मनाया जाए
देश का झंडा घर-घर फर- फर लहराए ।
दूरदर्शिता हो बिन कहे समझ जाएं
जानें भी तो मदद को हाथ उठ जाएं ।
नया साल कुछ इस तरह मनाया जाए
वृद्ध आश्रम अब न और बनाए जाएं ।
नई पीढ़ी विज्ञान संग जीना सीख जाए
पर अपने संस्कारों को न कभी भूल पाए।
नया साल कुछ इस तरह मनाया जाए
गीत सुनें और दिल से गुनगुनाए जाएं ।
मजदूर किसान पीड़ा को भूल जाएं
मजबूत हाथ इनकी मदद को आए ।
नया साल कुछ इस तरह मनाया जाए
तुम बेटी हो तुम कहकर न टाला जाए।
दहेज़ प्रथा को इस तरह मिटाया जाए
उपहार ही रहे इसे मांग न बनाया जाए ।
महिला शक्ति शाली हो बताया जाए
गरीबों को नौकरी का मौका दिया जाए।
नया साल कुछ इस तरह मनाया जाए
जय हिंद जय भारत जय भारत हो जाए।
खेतों में सोना सोना खिल बिखर जाए
किसान हंसे और सारी जनता मुस्कुराए।
हमारी सभ्यता इतनी मजबूत हो जाए
गृह कलेश कोई कोर्ट में न पहुँच जाए ।
गरीबी अमीरी के बीच खायी मिट जाए
गरीबों की इस तरह अब कदर की जाए ।
जिन्दा पेड़ों को काट उन्हें न मारा जाए
प्रकृति का जीवन में उपकार माना जाए ।
नया साल कुछ इस तरह मनाया जाए
मानवता और मानव कल्याण हो जाए ।
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