■कविता आसपास. ■प्रिया देवांगन ‘प्रियू’.
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■नया वर्ष.
नये वर्ष की शुभ बेला पर, सब का साथ निभायेंगे।
हुये गिले शिकवे है जो भी, उनको दूर भगायेंगे।।
है इंसाने एक बराबर, फिर क्यों पीछे जाते हो।
जाति धर्म का भेद बताकर, छोटी सोंच बनाते हो।।
पढ़ी लिखी यह सारी पीढ़ी, इक पहचान बनायेंगे।
नये वर्ष की शुभ बेला पर, सब का साथ निभायेंगे।।
बैठे रहते सड़क किनारे, वो भी तो भूखे होते।
वर्ष नया उनका भी आता, लेकिन क्यों वह है रोते।।
आओ साथी सारे मिलकर, हम भी आज हंँसायेंगे।
नये वर्ष की शुभ बेला पर, सब का साथ निभायेंगे।।
देखो मानव की आजादी, पार्टी भी सभी मनाते।
पी कर दारू खा कर मुर्गा, यहाँ गंदगी फैलाते।।
आज नया हम प्रण लेते हैं, मिलकर इसे मिटायेंगे।
नये वर्ष की शुभ बेला पर, सब का साथ निभायेंगे।।
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