■बचपन आसपास : कमलेश चंद्राकर.
【 ●बाल कवि के रूप में कमलेश चंद्राकर एक जाना-पहचाना नाम है. ●कमलेश चंद्राकर विगत दिनों मेरे निवास सौजन्य मुलाकात करने आये,साथ में अपनी 2 बाल संग्रह ‘सारी दुनियां एक तरफ’ और ‘दादी अम्मा गई किधर’ मुझे भेंट किये. ●’दादी अम्मा गई किधर’ को मैंने पूरी पढ़ी, चार-चार पंक्तियों से कवि द्वारा लिखी गीत नर्सरी के बच्चों को गुदगुदाने के साथ-साथ आनंदित भी करेगी. ●’छत्तीसगढ़ आसपास’ के लिए इस संग्रह से कुछ बाल गीत प्रस्तुत है, अपनी राय से अवगत करायेंगे.
– संपादक 】
♀ 1
झम,झमाझम, झम्मक-झम
सारे-सारे बच्चे हम
मिलकर कदम उठाएंगे
आगे बढ़ते जाएंगे●
♀ 2
मम्मा ने मारी झिड़की
हुई सुबह खोलो खिड़की
हवा शुद्ध जो आयेगी
धूप भी आएगी खिलती●
♀ 3
लपलप-लपलप बड़े मजे स
डैने फेरे पानी में
क्या सतह क्या गहराई
मछली तैरे पानी में●
♀ 4
ढमढम-ढमढम,ढमक-ढमक
भालू नाचे छमक-छमक
भाषा समझ मदारी की
एक्शन मारे भारी जी●
♀ 5
सोन कड़ाही जंगल में
सोन सुराही जंगल में
सोन चिरइया कहां गई
खोजे राही जंगल में●
■कवि संपर्क-
■99819 24900
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