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■बालिका दिवस पर विशेष : सुधा वर्मा.
♀ बेटियां मुझे दे दो
♀ सुधा वर्मा
अपनी बेटियां मुझे दे दो
सूना है पालना मेरा
उनकी किलकारियां मुझे दे दो।
उनके पायल के घुंघरुओं से
नाच उठेगा आंगन मेरा
ऐसे नन्हे पांव मुझे दे दो।
आंटे की छोटी लोइयों से भरा
सूपा मेरा,
ऐसे नन्हे हाथ मुझे दे दो।
सूना है आगन मेरा,
उनकी किलकारियां मुझे दे दो।
लगानी है मेंहदी मुझे,
कोरी है हथेलियां मेरी।
अपनी बेटियां मुझे दे दो,
सजायेगी हाथ मेरा,
रंगाती जायेगी मन मेरा।
आंगन है सूना मेरा
अपनी बेटियां मुझे दे दो।
बनायेगी आंगन में अल्पना,
सुंदर रांगोली से
सजायेगी मेरा अंगना।
सूनी है रसोई मेरी
बनायेगी खीर पूड़ी
महकेगा घर पूरा
जब बनेगा गहूं चावल का पुआ।
एक बेटी नही मुझे
अपनी सब बेटियाँ दे दो।
झुलेंगी वे सब मेरे अंगना,
अमुआ की डाली पर डाल झुला।
गीत सावन के गुजेंगे
सुनाई देगी हंसी ठिठोली।
उठेगी जब उसकी डोली,
तब होगी आस पूरी।
अपनी बेटियां मुझे दे दो
■कवयित्री संपर्क-
■94063 51566
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