■गणतंत्र दिवस पर विशेष: डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’.
3 years ago
146
0
♀ नवरंग के दोहे
♀ डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
[ जमनीपाली,जिला-कोरबा, छत्तीसगढ़ ]
दुनिया में मज़बूत है , भारत का गणतंत्र ।
लेकिन भ्रष्टाचार में , डूब रहा है तंत्र ।।
■
मिला निमंत्रण बोलने , आज़ादी के नाम ।
पाबंदी है वक़्त की , ये कैसा पैगाम ।।
■
छिन्न- भिन्न होने लगा , धर्म और विश्वास ।
जब से जुगनू लिख रहे , सूरज का इतिहास ।।
■
रंगरूट सिखला रहे , नौसिखियों को छंद ।
निपुण उसे बतला रहे , जो है उन्हें पसंद ।।
■
गुरु बन बैठे कोचिये , अधकचरों के साथ ।
निकले हैं बाज़ार में , करने दो दो हाथ ।।
■
खेल रहे हैं शब्द से , होकर मस्त मलंग ।
पहले कुछ पहचान थी , आज हुए बदरंग ।
■
कवियों के बन गए , पंच और सरपंच ।
दिखता है हर मंच पर , नाटक और प्रपंच ।।
■कवि संपर्क-
■79748 50694
■■■ ■■■