■गणतंत्र दिवस पर विशेष : सरस्वती धानेश्वर ‘सारा’.
♀ राष्ट्र एवं अनुशासन
♀ सरस्वती धानेश्वर ‘सारा’
[ तालपूरी,भिलाईनगर,छत्तीसगढ़ ]
अनुशासन और देश के प्रति अगाध प्रेम, किसी भी राष्ट्र की उन्नति का मुख्य कारण होता है।
एक स्लोगन बचपन में पढ़ा था, अनुशासन ही देश को महान बनाता है,
शायद यह हमारी भूतपूर्व प्रधानमंत्री “स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी” के कार्यकाल में उपजित नारा था।
किसी भी देश के उत्थान के लिए उन्नति, प्रगति एवं संपन्नता के लिए हम सरकार पर निर्भर रहते हैं,हम सदैव ही एक आदर्श सरकार की अपेक्षा रखते हैं और सदा ही एक नीतिगत फैसले का इंतजार करते हैं,कि कौनसा राजनीतिज्ञ दल सत्ता में आएगा और हमें आर्थिक एवं सामाजिक अनुमोदन के रूप में लाभान्वित करेगा।
इस देश के नागरिकों को सदैव ही सरकार से ही अपेक्षा रहती है,पर सरकार को भी तो अपने देश के नागरिकों से अपेक्षा होनी चाहिए न?
पर यह बात तो सदैव नदारत ही रहती है,यह बात भी विचारणीय है कि हम स्वयं भी एक आदर्श नागरिक के रूप में अपनी आदर्श भूमिका निभा पाते हैं?
कोरोना के इस तीसरी लहर में सरकार ने बेशक लाकडाउन नहीं लगाया, लेकिन बहुत से गाइड लाइन एवं जागरूकता अभियान के तहत बहुत सी महत्वपूर्ण संस्थाओं के माध्यम से जनता तक अपनी अनवरत सेवाएं प्रचार एवं प्रसारित की जा रही हैं, इसके अलावा सरकार और क्या ही करे!
बेशक स्कूल कालेजों का बंद होना शैक्षणिक स्तर की गिरावट की परिणिति ही होगी इसे उचित प्रबंधन द्वारा संगठित एवं सुनियोजित किया जा सकता है,
हमें स्वतंत्रता कैसे मिली यह जानने से ज्यादा,यह भी समझना महत्वपूर्ण है कि हम परतंत्र कैसे हुए थे?
यह अध्ययन का विषय है जैसे पूर्व कथन में मैंने कहा कि अनुशासन ही किसी भी देश को महान बनाता है, इसका बहुत ही सुन्दर उदाहरण हम जापान के लोगों में देखते हैं, जापान एक ऐसा देश है जहां अनुशासन एवं अपने देश के प्रति अगाध प्रेम बचपन से ही शिशु के मानस पटल पर इस तरह से रच – बस जाता है कि वह आजीवन अनुशासित जीवन ही जीता है,इससे देश ही नहीं सरकार भी लाभान्वित होती है, कहना न होगा कि जापान जैसा देश तबाही के मुहाने से निकल कर फिर से एक सुसंपन्न देश के श्रेणी में शुमार हो गया।
वहीं हमारे देश के लोग राष्ट्रवाद में इतना विलीन हो चुके हैं कि वास्तविकता से कोसों दूर हो गये हैं_
अदालतें अपराधियों को सजा देते देते थक जाती हैं?
पुलिस प्रशासन इतना भ्रष्ट क्यों है?
महिलाओं पर अत्याचार कब रूकेंगे?
आरक्षण क्यों है?
कब धर्म और जाति की लड़ाई रुकेगी?
अनगिनत मुद्दे और उतने ही सवाल!
आखिर इन सभी समस्याओं का समाधान कैसे संभव हो।
कोई भी व्यक्ति हो, संस्था या राष्ट्र हो जब वे अपने विकास के लिए नियमों का निर्धारण करते हैं तो उसे अनुशासन कहा जाता है, दूसरे शब्दों में कहें तो अनुशासन एक ऐसी आदत है जो मनुष्य के जीवन में सार्थकता लाती है,जब हम अनुशासित होते हैं तो समय को अपने अनुकूल कर जीवन के विभिन्न आयामों को महसूस करने के लिए हम स्वतंत्र होते हैं।
हम सदैव स्वतंत्रता के लिए लालायित रहते हैं पर वे लोग जो स्वतंत्र तो होते हैं पर अनुशासित नहीं है वे दुखी भी होते हैं और हमेशा आशान्वित होते हैं कि वे कब अनुशासित हो पाएंगे,वे अंतिम ध्येय की ओर देखते हैं क्योंकि अनुशासन तो एक मार्ग है न कि अंत।
[ सरस्वती धानेश्वर ‘सारा’ विश्व शांति समिति छत्तीसगढ़ के निदेशक है ]
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