- Home
- Chhattisgarh
- ■श्रृंगार गीत : डॉ. दीक्षा चौबे [ दुर्ग,छत्तीसगढ़ ]
■श्रृंगार गीत : डॉ. दीक्षा चौबे [ दुर्ग,छत्तीसगढ़ ]
♀ अब वसंत आने को है
♀ डॉ. दीक्षा चौबे
आया है फूलों का मौसम , पतझड़ अब जाने को है ।
प्रिय परदेश छोड़, घर आओ , अब वसंत आने को है ।
काली नागिन- सी ये रातें , अक्सर मुझे डराती हैं ।
नैना बैरन हुईं बावरी ,आठों पहर जगाती हैं ।
सूना-सूना घर का आँगन ,सूने ये चौबारे हैं ।
नाम लिखा साँसों में तेरा , धड़कन तुझे पुकारे है ।
विरह-ज्वर से पीड़ित है मन ,व्यथा प्राण खाने को है ।
प्रिय परदेश छोड़,घर आओ , अब वसंत आने को है ।।
बौर लगे हैं अमराई में , मादक मोहक मलय बहे ।
प्रहसित पुष्पित कलियाँ महके ,तितली मन की बात कहे ।
पल्लव उग आए शाखों पर ,पुलकित कंपित गात हुआ ।
मुदित उमंगित होता अंतस ,विकसित ज्यों जलजात हुआ ।
कोयल मीठी तान सुनाए , बहार बस छाने को है ।।
प्रिय परदेश छोड़, घर आओ , अब वसंत आने को है ।।
सरसों फूले झूमे अलसी , महुआ मन मदहोश करे ।
अभिमंत्रित-सा करता किंशुक ,देख पपीहा आह भरे ।
नैन ठगे से तुम्हें ढूँढते , व्याकुल दिवस-रात मेरे ।
प्रिये मिलन की आस जगी है ,राहों में करते फेरे ।
पवन संदेशा लेकर आया , मेह नेह लाने को है ।।
प्रिय परदेश छोड़, घर आओ ,अब वसंत आने को है ।।
[ ●श्री डी पी तिवारी,सरस्वती तिवारी की सुपुत्री और समीर कुमार चौबे की पत्नी डॉ. दीक्षा चौबे एमएससी रसायन शास्त्र, बीएड,एमए हिंदी,पीएचडी और शासकीय व्याख्याता हैं. ●100 से अधिक रचनायें देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित. ●आकाशवाणी रायपुर और बिलासपुर से कहानियों का प्रसारण. ●’ब्लॉगस्पॉट’ में लेखन 【 dikshachaube.blogspot.com 】. ●प्रकाशित कृतियां-कई साझा संग्रह, एकल काव्य संग्रह ‘मेरे मन-आँगन के फूल’,कहानी संग्रह ‘पारिजात से झरे फूल’. ●अनेक सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित डॉ. दीक्षा चौबे की पहली रचना ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ में.
-संपादक ]
■■■ ■■■