■’कोशिश’ स्तम्भ : निशांत राज [ अररिया बिहार ]
♀ यूं ही तो नहीं मिलाया होगा
♀ निशांत राज
[ कुर्साकांटा,अररिया, बिहार ]
तन्हाइयों से तेरी, रब को भी कुछ शिकायतें होंगी
मेरे दर्द पर भी उनको, शायद तरस आया होगा
मुस्कान से हमारे लबों की, उन्हें भी मुहब्बत होगी शायद
यूं ही तो रब ने मुझे, तुमसे न मिलाया होगा
आँखें चार हुई होंगी कहीं तो, मेरे दर्द की तुम्हारे दर्द से
देखकर एक दूजे को, हमारा दर्द भी मुस्कुराया होगा
रूह महकी होगी हमारे दर्द की, अपनेपन की खुशबू से
दर्द-ए-रूह ने तभी, दर्द का यह रिश्ता बनाया होगा
यूँ ही तो रब ने मुझे, तुमसे न मिलाया होगा
फकत अहसास से ही तुम्हारी, दिल धड़कता है मेरा
धड़कनों ने भी तुम्हारी, गीत मेरा कभी गुनगुनाया होगा
अश्कों मे मैं अपनी, दीदार कर लेता हूँ तुम्हारा
हँसी मे तुम्हारी तुम्हें भी, कभी तो मेरा चेहरा नजर आया होगा
यूं ही तो रब ने मुझे, तुमसे न मिलाया होगा
महसूस करके तुम्हें, मुस्कुराते हैं लब मेरे गर तो
अहसासों ने मेरा भी, तुम्हारा सीना धड़काया होगा
अक्स यूं ही नहीं उभरता तुम्हारा, मेरे हर्फों मे
जिक्र मेरा भी, तुम्हारी बातों मे कभी आया होगा
यूं ही तो रब ने मुझे, तुमसे न मिलाया होगा
[ ‘कोशिश’ स्तम्भ में कुर्साकांटा स्कूल के शिक्षक निशांत राज की रचना पढ़ें. ●संपर्क- 62004 35989 ]
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