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- ■सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स यूनियन- ‘ऐक्टू’ के महासचिव श्यामलाल साहू ने एनजेसीएस की सब कमेटी के बारे में क्या कहा,लिंक खोलकर पढ़ें-
■सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स यूनियन- ‘ऐक्टू’ के महासचिव श्यामलाल साहू ने एनजेसीएस की सब कमेटी के बारे में क्या कहा,लिंक खोलकर पढ़ें-
■भिलाई
सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स युनियन– ऐक्टू के महासचिव श्याम लाल साहू 24 फरवरी की एनजेसीएस की सब कमेटी की बैठक में प्रबंधन के रवैय्ये पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वैसे तो सेल प्रबंधन का रवैय्या हमेशा ही कर्मचारी विरोधी रहा है, लेकिन केंद्र में जब से भाजपा की मोदी सरकार सत्ता में आई है तब से सेल प्रबधन भी तानाशाही मोदी सरकार के नक्शेकदम पर चलते हुए काम कर रहा है।
सेल प्रबंधन को अपने कार्मिकों के हितों की जरा भी परवाह नहीं रह गई है। दरअसल अब कार्पोरेट घराने सरकार पर और सरकार सेल प्रबंधन पर हावी है और इन तीनों की युति नहीं चाहती कि कर्मियों को बेहतर फायदा मिले। हक़ीक़त यही है कि सरकार के संरक्षण में कार्पोरेट घराने सब कुछ हड़प लेने पर आमादा हैं। यही नहीं, कार्मिकों की जमाराशि पर भी इनकी गिद्ध निगाहें टिकी हुई हैं।
ऐक्टू के महासचिव ने यह भी कहा कि इन दिनों प्रबंधन ने कर्मचारी यूनियनों और कार्मिकों को विभाजित करने और आपस में लड़ाने का बाकायदा अभियान ही चला रखा है। जहाँ तक इंटक के रवैय्ये की बात है तो इंटक ने हमेशा प्रबंधन के बी टीम के रूप में काम करते हुए कार्मिकों की एकजुटता को तोड़ने और कार्मिक हितों को नुकसान पहुँचाने का ही काम किया है। 1960 में मध्यप्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसी मक़सद से एमपीआईआर एक्ट बनाकर इंटक को चोर दरवाजे से स्थापित कर रखा था। आज काफी टूट-फूट और विखंडन के बाद भी इंटक ने अपना पुराना रवैय्या नहीं बदला है। नतीजतन आज भी कर्मचारियों को उसका खामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है। भिलाई का प्रबंधन भी बहुत ढीठ और पूरी तरह कार्मिक विरोधी बन चुका है। कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। प्रबंधन पूरी तरह तानाशाही चला रहा है जिसके चलते कर्मियों में घोर निराशा व्याप्त है।
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