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■महाशिवरात्रि पर विशेष : डॉ. नीलकंठ देवांगन.
♀ शिवरात्रि रहस्य : शिवजी का जन्मदिन शिवरात्रि क्यों ?
♀ डॉ. नीलकंठ देवांगन
[ शिवधाम कोडिया, जिला-दुर्ग,छत्तीसगढ़ ]
विश्व की सभी महान विभूतियों के जन्मोत्सव जन्म दिन के रूप में मनाये जाते हैं | देवताओं की भी जयंतियां जन्म दिन के रूप में ही मनाई जाती हैं, लेकिन परमात्मा शिव की जयंती जिसे जन्म दिन न कहकर शिवरात्रि कहा जाता है | शिव के साथ क्यों जुड़ी रात्रि? अन्य देवताओं के जन्म दिवस क्यों?
यहां रात्रि शब्द कलियुग में फैले तमोगुण एवं अज्ञान अंधकार का सूचक है जिसमें अवतरित होकर परमात्मा सर्व आत्माओं की ज्योति जगाकर कलियुग रूपी रात्रि को सतयुग रूपी दिन में परिवर्तित करते हैं | यह चौबीस घंटों में होने वाला सामान्य दिन रात नहीं है |
काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि मनोविकारों के वशीभूत आत्माओं को ईश्वरीय ज्ञान और राजयोग की शिक्षा द्वारा आध्यात्मिक जागृति लाकर निर्विकारी पवित्र बनाते हैं |
शिवरात्रि परमात्मा के दिव्य अवतरण की स्मृति – महाशिवरात्रि त्योहारpp परमात्मा शिव के दिव्य अवतरण का ही यादगार है | कल्याण कारी विश्व पिता शिव तो अलौकिक अथवा दिव्य जन्म लेकर अवतरित होते हैं | उनकी जयंती संज्ञा वाचक नहीं बल्कि कर्तव्य वाचक रूप से मनाई जाती है |
दिव्य जन्म लेते परमात्मा
दिव्य कर्तव्य हैं करते
दिव्य रूप अविनाशी चेतन
परम धाम में रहते
उनका जन्म मनुष्यत्माओं की भांति नहीं होता | शिव परमात्मा का दिव्य अवतरण विषय विकारों की कालिमा से लिप्त अज्ञान निद्रा में सोये मनुष्य को जगाने के लिए होता है | महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को अमावश्या के एक दिन पहले मनाई जाती है | जब जब इस सृष्टि पर पाप की अति, धर्म की ग्लानि और पूरी दुनिया दुखों से घिर जाती है तो गीता में किये अपने वायदे अनुसार परमात्मा परकाया प्रवेश कर अशरीरी होते भी अपना दिव्य कार्य करने इस धरा पर अवतरित होते हैं और पुनः सतधर्म की स्थापना, सच्चा गीताज्ञान और मनुष्यत्माओं को पतित से पावन बनाने के लिए सहज राजयोग की शिक्षा देते हैं |
सभी देवों के देव हैं महादेव परमात्मा शिव – कोई इंसान या देवता किसी की पूजा तभी करता है, जब वह उससे गुणों एवं विशेषताओं में श्रेष्ठ और बड़ा होता है | परम पिता शिव परमात्मा सभी देवों के भी देव महादेव हैं | उनकी पूजा और आराधना किसी न किसी रूप में देवी देवताओं ने की है | वे सर्वशक्तिमान हैं, आराध्य हैं | विश्व के सभी धर्मों में किसी न किसी रूप में उनकी पूजा आराधना की जाती है | सभी धर्मों ने परमात्मा की सत्ता को स्वीकार किया है | किसी ने उसे निराकार ज्योति कहा, किसी ने नूर, तेज तेजोमय, एक ओंकार निराकार, ज्योति, लाइट आदि नामों से पुकारा है |
शिवजी का प्राकट्य – माघ मास के कृष्ण पक्ष की चौदस की आधी रात में कोटि सूर्यों के समान कांति वाले आदि देव शिव लिंग रूप से प्रकट हुए | इसी दिन को शिवरात्रि कहते हैं |
परमात्मा सर्व आत्माओं के परम पिता – परमात्मा शिव सर्व आत्माओं के परम पिता हैं जिसे कोई ने ईश्वर, कोई अल्लाह, कोई गॉड कहा है | जहां हिंदू धर्म में निराकार परमात्मा को ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है, वहीं अन्य धर्मों में भी उसे निराकार ज्योति स्वरूप माना जाता है | मुसलमानों ने उसे अल्लाह, नूर- ए- इलाही, खुदा कहकर उस परमसत्ता को ही याद किया है | सिक्ख धर्म में गुरु नानकदेव ने ‘ एको ओंकार निराकार ‘ कहा है | ईसाई धर्म में क्राईस्ट ने ‘ गॉड इज लाईट ‘ कहा है | बौद्ध धर्म में उस ज्योतिर्लिंगम् को धम्ब (प्रकाश) कहते हैं | हजरत मूसा ने उस प्रकाश को ‘ जिहोवा ‘ कहा | जापान में उसे ‘ चिंकोनसेंकी ‘ अर्थात् शांतिदाता, रोम में ‘ प्रियपस ‘ तो यूनान में ‘ फल्लुस ‘ नाम से पुकारते हैं |
अल्लाह, खुदा, गॉड, भगवान एक ही हैं |
ज्योति बिंदु स्वरूप हैं परमात्मा शिव – परम पिता परमात्मा शिव निराकार हैं | निराकार का अर्थ यह नहीं कि उनका कोई आकार नहीं है | हां, उनका कोई शारीरिक आकार नहीं होता | वे सूक्ष्म ज्योतिर्मय हैं | उनका स्वरूप ज्योति बिंदु है | स्थूल नेत्रों से उसे नहीं देखा जा सकता, उनके साथ की, उनके शक्तियों की अनुभूति की जा सकती है |
परमात्मा का स्मरण चिन्ह शिवलिंग
– शिव का शाब्दिक अर्थ है ‘ कल्याणकारी ‘ और लिंग का अर्थ है ‘प्रतिमा, चिन्ह या निशानी ‘ | शिवलिंग का अर्थ हुआ – ‘ कल्याण कारी परम पिता परमात्मा की प्रतिमा ‘ जो प्राकृतिक रूप से ही प्रकाशमान होता है |
परमात्मा का अवतरण कब होता है
– परमात्मा अपने किये वादे- ‘ यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत— ‘ को पूरा करने अपने समय पर आते हैं | जब अधर्म का बोलबाला , अधर्म की अति ग्लानि, पाप अपने चरम सीमा पर, रिश्तों की मर्यादायें तार तार, चहुं ओर दुख अशांति अत्याचार अनाचार का वातावरण यानी घोर अज्ञान अंधकार रात्रि छा जाता है, तब परमात्मा शिव का अवतरण ज्ञान का प्रकाश दिन लाने भारत की पावन भूमि में होता है |
शिव और शक्ति का शास्वत संयोग – शिव के साथ सदा हैं शक्ति | पार्वती प्रयास और निरंतरता का महत्व जानती हैं | अंततः शिव को पति के रूप में पा ही लेती हैं | इस दिन शिव विवाह का प्रसंग भी है | बैरागी ने ब्याह रचा लिया | लोक कल्याण के लिए गृहस्थ बनकर भी संयासी रहा जा सकता है, यह बता दिया |
शिवरात्रि के सही अर्थ को समझें –
परमात्मा शिव का अवतरण कलियुग रूपी रात्रि में होता है इसलिये शिव के अवतरण दिवस को शिवरात्रि कहा जाता है | अभी सृष्टि के महा परिवर्तन का समय चल रहा है |
शिवधाम कोड़िया में स्वयंभू भगवान शिव का दिव्य व भव्य ज्योतिर्लिंग – ‘भुइं फोड़ भगवान शिव के ‘ नाम से विख्यात शिवधाम कोड़िया में अनोखा शिव ज्योतिर्लिंग है जिसके दर्शन पूजन से मनोकामनाएं पूरी होती हैं | इसकी ख्याति दूर दूर तक है |
महा शिवरात्रि के दिन यहां परंपरागत विशाल मेला लगता है |
■लेखक संपर्क-
■84355 52828
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