■अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष : डॉ. नीलकंठ देवांगन.
♀ नारी का गौरव गान
♀ डॉ. नीलकंठ देवांगन
महिलाओं का हो सदा सम्मान
वात्सल्य प्रेम की होती वह खान
मत करो नारी का अपमान
नारी तो है सब गुणों की खान
मातृ शक्ति है नारी, मातृत्व की उदार गरिमा
आदि शक्ति है नारी, दुर्गा की सजीव प्रतिमा
नारी शक्ति की महत्ता को पहचान
नारी केवल भोग्या नहीं, भगिनी भी है
वासना का मात्र साधन नहीं, जननी भी है
नारी को दो यथोचित सम्मान
नव सृजन का संचालन करती, ब्रम्हवादिनी नारी
परमार्थ का संपादन करती, ब्रम्हचारिणी नारी
अब उसको अबला मत जान
अनुराग त्याग की सीमा का, है अद्भुत संयोग
शक्ति योग्यता ममता का, उसमें अजब सुयोग
परमात्मा का वह सुंदर वरदान
विश्व की परिष्कृत, श्रेष्ठतम सृष्टि है नारी
विधि की निश्चित, अन्यतम कृति है नारी
मत बन तू अनजान
नर नारी मिल धारण करते, व्यवस्थित शक्ति स्वरूप
नर नारी का निर्मल सामीप्य, सुसंतति का रूप अनूप
शक्ति का उसका तू कर अनुमान
दूर करके देखो, उसके आँखों का खारा पानी
साथी गृहिणी धर्मचारिणी में, नहीं उसका सानी
नारी है जग में महान
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