■अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष : उज्ज्वल प्रसन्नो
♀ नारी तुझे प्रणाम
♀ उज्ज्वल प्रसन्नो
माँ हो आंचल की सौगात तुम्ही से।
बहना हो रक्षाबंधन की बात तुम्ही से।।
पत्नी हो मंगलसूत्र का साथ तुम्ही से।
बिटिया हो मन का चहकता संसार तुम्ही से।।
गुरु हो उत्तम शिक्षा है साकार तुम्ही से।
दादी नानी हो कहानी नुस्खे उपहार तुम्ही से।।
उत्तम कृति परमेश्वर की श्रेष्ठ वंदनवार तुम्ही से।
नेहिल मन सुख स्वप्न स्पंदन अश्रु धार तुम्ही से।।
प्रेम तुम्ही से प्यार तुम्ही से।।
जीवन का आधार तुम्ही से।
किलकारी का साज़ तुम्ही से ।।
पायल की झंकार तुम्ही से।
शहनाई की आवाज़ तुम्ही से।।
आँगन का श्रृंगार तुम्ही से।
घर घर है घर बार तुम्ही से।।
भविष्य के सपने श्रृंगार तुम्ही से।
बंधन तुमसे प्यार तुम्ही से।।
दया करुणा का व्यवहार तुम्ही से।
मन के सुरभित गान का तार तुम्ही से।।
शंख तुम्ही से शंखनाद तुम्ही से।
जीवन का आगाज़ तुम्ही से।।
मानवता का विकास तुम्ही से।
समर्पण तुम्ही से त्याग का प्रकाश तुम्ही से।।
परिवार की अनवरत धड़कन सत्कार तुम्ही से।
श्रद्धा हो मन की सुंदर संस्कार तुम्ही से।।
जय जग जननी जग विजय का सार तुम्ही से।
सादर नमन श्रध्देय नारी ,मन का नेहिल संसार तुम्ही से।।
■कवि संपर्क-
■94241 22246
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