■अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष : केवरा यदु ‘मीरा’.
♀ नारी
♀ केवरा यदु ‘मीरा’
हाँ,मै नारी हूँ,निज सत्य कभी न हारी हूँ,
मैं त्याग और ममता की इक फुलवारी हूँ।
मै फूल हूँ ,मैं गंध कुसुम मतवाली डाली हूँ,
मैं फूलों को नित जन्माने वाली वनमाली हूँ ।
मैं मधुमासो में सावन हूँ,गंगा जैसी पावन हूँ,
यमुना सी बल खाती,नर्मद सी मनभावन हूँ।
मैं चंदन जैसा वंदन हूँ,मैं ही कष्ट निकंदन हूँ,
नेह नीर के मोती सी सच ही प्रीत निबंधन हूँ।
मैं गीत धरा की प्रीत अमर हूँ मस्तानी भी,
देश धरा पर मिटती झाँसी रानी दीवानी भी।
मैं भाग्य-प्रकृति,संस्कृति सम्मान की छाया हूँ
ईश्वर की अनुपम सी कृति और जगमाया हूँ।
आन धरा की शस्यश्यामला पावन माटी की,
मै गौरव अभिमानी, बलिदानी परिपाटी की।
मैं जीवन और मोक्ष अमर हूँ पूरी सृष्टि में,
मैं शक्ति एक परोक्ष समर की दूरी दृष्टि में।
मैं शोला हूँ मैं शबनम आँसू व चिनगारी भी,
मैं एक सुरीला सरगम व साज हियहारी भी।
मैं सरताजों की ताज बनी तीक्ष्ण मद हाला हूँ
मैं बिना पंख परवाज और प्रीत मधुशाला हूँ।
मैं सदगुन हूँ मैं वादा हूँ,संगति में नेक इरादा हूँ,
मैं खंडित मन प्राणअखंडित सारी मर्यादा हूँ।
मैं पूजा हूँ मैं भक्ति और असीमित शक्ति हूँ,
पन्ना सी देश प्रेम की सारभूत अभिव्यक्ति हूँ।
मैं मीरा हूँ मैं राधा हूँ मैं हठी द्रौपदी जैसी हूँ,
नर का हिस्साआधा हूँ,मैं सप्तपदी संवेशी हूँ।
मै पद्मनि मैं रजिया हूँ,मैं ही मेवाड़ी कर्मवती,
मलय क्षीर बगिया सीता,सावित्री, सत्यवती।
मैं नीर भी हूँ मै ज्वाला हूँ शीतलतम हिम सी,
मैं अमृत मय प्याला हूँ संग गरल मद्धिम सी।
नारी अनुपम प्यारी,नेह दुलारी ,नहीं बेचारी हूँ
सृष्टि की हितकारी महतारी व ,दुष्ट-संहारी हूँ।
मैं ममतामयि नारी पर संग में ,तीक्ष्ण कटारी हूँ
रिश्तों की मैं संगम,बहना भैया की प्यारी हूँ।
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