■मृत्युदण्ड : दुर्ग अपर सत्र न्यायाधीश अविनाश के.त्रिपाठी ने कहा-आरोपी को मृत्युदण्ड देने से वो अपने कुकर्मों का प्रायश्चित नहीं कर पायेगा ? महत्वपूर्ण फैसले में सुनाए गए इस खबर को पढ़ें-
■दुर्ग
फास्ट ट्रैक कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अविनाश के त्रिपाठी ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. एक बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में ये फैसला सुनाया गया.
कोर्ट ने फैसला सुनाने के पहले विशेष टिप्पणी की है. कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि यदि आरोपी को मृत्युदण्ड दिया जाता है तो वह अपने कुकर्मों का प्रायश्चित नहीं कर पाएगा. आरोपी अपने मानव जीवन से मुक्ति पा जाएगा. वह इस मानव योनी से मुक्त भी हो जाएगा. इसके विपरीत यदि आरोपी को शेष प्राकृतकाल के लिए आजीवन कारावास का दंड दिया जाता है तो वह अपने कुकर्मों को जीवनकाल तक सोच-सोच के घुटन में मानसिक रूप से मृत्यु को प्राप्त करता रहेगा.
■7 साल की बच्ची से दुष्कर्म करने वाले आरोपी रजत को 7 साल सश्रम और आजीवन कारावास की सजा.
मामला वैशाली नगर थाना क्षेत्र का है, शाम को आरोपी पीड़िता को अपने घर बुलाया, उस समय घर में कोई नहीं था और फिर दुष्कर्म किया.
पीड़िता ने अपने पिता को जानकारी दी. 30 जनवरी 2021 को पीड़िता की शिकायत पर वैशाली नगर,जिला-दुर्ग में आरोपी के खिलाफ़ धारा 376[क] [ख], 450 एवं पास्को एक्ट के तहत अपराध दर्ज कर न्यायालय में पेश किया गया था, जिसका फैसला 23 मार्च 2022 को अपर सत्र न्यायाधीश अविनाश के त्रिपाठी ने सुनाया.
पीड़िता के पिता अपने दोनों बेटियों को पड़ोसी के भरोसे छोड़ कर सुबह 9 बजे काम पर चले जाते हैं. पीड़िता की माँ का निधन हो चुका है. पीड़िता आरोपी रजत भट्टाचार्य[उम्र 23] को भैया कहती थी●
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