■कविता : अमृता मिश्रा ‘निधि’ [अध्यापिका दिल्ली पब्लिक स्कूल, भिलाई-छत्तीसगढ़].
3 years ago
585
0
जीवन में कुछ रिश्ते होते हैं
और उन रिश्तों में होता है जीवन!
उन रिश्तों के अस्तित्व में
अर्थों को समेटे होते हैं, कई शब्द!
प्यार, भक्ति, मोहब्बत, इश्क, स्नेह!
मन विचरता है
इन सारे अधूरे शब्दों के साथ!
सहसा कौंधता है एक शब्द,
मेरे अन्तस में।
और वह भी है अधूरा-अधूरा ही।
अपने रिश्तों में आए इस शब्द के संग ही,
मैं जुड़ी रह गई तुमसे सदा।
जानते हो वह शब्द क्या है??
वह शब्द है- सच्चा !
हमारे रिश्तों में यही तो रहा,
शुरू से अबतक!!!
अगर ऊपर के सारे शब्दों में,
एक-एक कर जोड़ दिया जाए इसे,
तो इसी एक अधूरे शब्द के साथ,
हो सकते हैं पूरे वे भी!!
यही तो नींव है हर रिश्तों में,
और आज तक किसी ने,
इस शब्द से जुड़े रिश्तों में,
दरारें नहीं देखीं।
●●● ●●● ●●●