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यह गांवों में सभी लड़के बैठे हैं कुंवारे नही होती यहां लड़को की शादी, जाने इसके पीछे का कारण
बुंदेलखंड में आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी लोग बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज हैं, यहां एक गांव में लड़कों के लिए पानी की समस्या अभिशाप तक बन गई है, पानी की परेशानी ऐसी भयावह है कि गांव में कोई अपनी बेटी का ब्याह तक करना नहीं चाहता।
बुंदेलखंड के चित्रकूट जिले की, जहां मानिकपुर तहसील के तहत आने वाले दर्जनों गांव में हमेशा पानी की समस्या बनी रहती है, लेकिन गर्मी की शुरुआत होते ही ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरसने लगते हैं, करोड़ों रुपये खर्च कर देने के बाद भी पाठा में यह समस्या पहले की तरह ही मुंह बाये खड़ी है। जैसे-जैसे गर्मी की तपन बढ़ती है यहां ज़्यादातर गांव के जलश्रोत सूख जाते हैं और महिलायें मीलों पैदल चलकर मुश्किलों से भरी गगरी सिर पर रखकर लाती है। महिलाएं पानी को अपने पति से भी ज़्यादा मूल्यवान समझती हैं। पेयजल का यह संकट एक बार फिर भयावह रूप धारण कर चुका है।
चित्रकूट जिले की तहसील मानिकपुर अन्तर्गत में आने वाले जमुनिहाई, गोपीपुर, खिचड़ी, बेलहा, एलाहा, उचाडीह गांव,अमचूर नेरुआ, बहिलपुरवा, जैसे दर्जनों गांवों के हजारों ग्रामीणों को पेयजल संकट की त्रासदी ज़्यादा नजदीक से दिखाई पड़ती है। शायद इसलिए कोई अपनी बेटियों की शादी इस गांव में नहीं करना चाहता है। यही कारण है कि गांव में दर्जनों लड़के शादी की आस में कुंवारे बैठे है कि कब पानी की समस्या खत्म हो और उनकी शादी हो जाये।