■कविता आसपास : तारकनाथ चौधुरी [चरोदा-भिलाई, छत्तीसगढ़]
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♀ गीत
संग प्रियतम का पाकर
जीवन को नया इक अर्थ मिला।
गीत सजे अधरों पर और
हर क्षण अँजुरि में हर्ष मिला।।
ताल,छंद ,लय हुए समस्वरित,
धड़कन में संगीत बसा।
रात्रि- दिवस में भेद नहीं,
जबसे हिय में मनमीत बसा।।
हुई मैं उनकी,वो हुए मेरे
स्नेह-भित्ति को आकर्ष मिला- – –
जीवन को नया इक अर्थ मिला। ।
लहरों से अठखेलियाँ करती,
बढी़ चले मेरी तरणी
विश्वास मुझे खेवटिया पर
वो विधु और मैं उनकी भरणी।।
मैं क्यूँ न समर्पित करूँ निज को,
उनसे स्त्रियोचित उत्कर्ष मिला- – –
जीवन को नया इक अर्थ मिला।।
“संग प्रियतम का पाकर,संग प्रियतम का पाकर…
■कवि संपर्क-
■83494 08210
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