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■कवि और कविता : कल्याण सिंह साहू.
[ ●’छत्तीसगढ़ आसपास’ के ‘कवि और कविता’ स्तम्भ में कल्याण सिंह साहू की कविताओं को पढ़ें. ●कल्याण सिंह साहू पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर पद से सेवानिवृत्त होकर रचनात्मक लेखन में सक्रिय हैं. ●कई सम्मानों से सम्मानित कल्याण सिंह साहू ने अबतक 15 पुस्तकें लिखी हैं. ●लेखन कार्य अभी भी जारी है.
-संपादक ]
♀ अहंकार का परिवार
अहंकार का है पूरा परिवार
करते नहीं किसी से प्यार
अहंकार का बाप है क्रोध
अहंकार की मां है ईष्र्या
अहंकार का भाई है भय
अहंकार की पत्नी है जिद्दी
अहंकार की बहन है चुगली
अहंकार का बेटा है बैर
नहीं रहेगा किसी का खैर
अहंकार की प्यारी बहू उपेक्षा
अहंकार का एक बहन है घृणा
अहंकार का उदंड पोता है द्वेष
अहंकार परिवार से दूर रहें
इसकी ज्वाला खुद ही सहे
अहंकार की पोती है चिड़चिड़ा
देती है सबको बेहद पीड़ा
अहंकार परिवार को छोड़ गए
अहंकार परिवार खुद लड़ ग्ए
♀ डर लगता है
जन्म के बाद मृत्यु का डर
परिवार बढ़ने से छूटने का डर
गर्मी में लू लगने का डर
गर्मी में पानी न मिलने का डर
बरसात में बाढ़ का डर
ठंडी में सर्दी जुकाम का डर
संपत्ति होने पर खोने का डर
शाम होने पर अंधकार का डर
अहिंसा को हिंसक का डर
नेताओं को कुर्सी छूटने का डर
ड्राइवर को दुर्घटनाओं का डर
व्यापारी को नुकसान का डर
विद्यार्थी को परीक्षा का डर
अपराधी को पुलिस का डर
स्वस्थ होने पर रोग का डर
युद्ध में जनधन तबाही का डर
सज्जनों को दुर्जनो का डर
डर का भी होना जरूरी है
भय होने पर ही सुरक्षा करते हैं
हमें आदमी से डर लगता है
भगवान से डर नहीं लगता
♀ अंत नहीं अनंत है
परमात्मा एक आत्मा अनंत
ईश्वर एक देवताएं अनंत
मन बुद्धि एक कामनाएं अनंत
परिवार एक सदस्य अनन्त
यहां राष्ट्र है एक नेता अनंत
शासक है एक प्रजा अनंत
आदमी एक समस्याएं अनंत
धरती एक जीवधारी अनंत
कमाते एक खाने वाला अनंत
विश्व एक देश राज्य अनंत
आकाश एक उड़ाने अनंत
राही एक रास्ते है अनंत
सूर्य एक तारे हैं अनंत
प्रभु एक प्रभु प्रेम अनंत
■कवि संपर्क-
■99935 56961
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