■पर्यावरण दिवस पर विशेष लघुकथा : महेश राजा.
♀ पर्यावरण रक्षा
वे हर रोज की तरह घर के पीछे आँगन में पेड़-पौधों को पानी पिला रहे थे।साथ ही घाँस आदि को साफ करते जा रहे थे।नन्हां काव्य उनके साथ टहल भी रहा था और ज्ञान विज्ञान के बारे में पूछ भी रहा था।
बात चल पड़ी, पर्यावरण और पेड़पौधों की जरूरत और सुरक्षा की।वे काव्य से कह रहे थे,पेड़ पौधे हमारे जीवन के लिये कितने उपयोगी है,वे अशुद्ध वायु को ग्रहण कर हमें जीवन- दायिनी शुद्ध हवा प्रदान करते है।
-परंतु हम मानव इस बात की कदर नहीं करते है।पेड़पौधे काट कर अपने लिये विनाश का साधन जुटाते है।
-यह जो बारिश का न होना,या होना प्रदूषण आदि,भूकंप,और अन्य तूफान आदि का आना ,नदी नालों में मीलों के गंदे पानी का बहाना,हम सबके लिये सबक है।हमें अब भी संभल जाना होगा।नहीं तो एक दिन ऐसा आयेगा कि हम शुद्ध वायु को तरस जायेंगे।
तभी बाहर शोर उठा।देखने पर पता चला एक व्यक्ति पेड़ों की अवैध कटायी कर रहा था।वनविभाग के स्टाफ ने उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया है।
काव्य भोलेपन से बोला-“,दादा यह व्यक्ति कितना गलत काम कर रहा था।यह हम भावी पीढ़ियों का अपराधी है,इसे सजा अवश्य मिलनी चाहिए।”
-” हाँ बेटा,हमें पेड़पौधों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिये।उसकी अच्छे से देखभाल करनी चाहिये।हर जन्मदिन पर पाँच पौधे अवश्य लगाना चाहिये।पानी की बचत करनी चाहिये।साथ ही हमें अपने आसपास की साफ सफाई का भी ध्यान रखना चाहिये।ताकि आनेवाले दिनों में हमें किसी गंभीर मुसीबत या महामारी का सामना न करना पड़े।”-वे कह रहे थे।
उन्होंने ने देखा काव्य अपने नन्हें हाथों से गमलों की सफाई कर रहा था।साथ ही छोटे मग से पानी भी ड़ाल रहा था।
वे मुस्कुरा दिये।अब उन्हें लगा हमारा देश इन अबोध हाथों में सुरक्षित है।
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