■पर्यावरण दिवस पर विशेष ग़ज़ल : डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’.
3 years ago
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♀ जब तक जल है
जबतक भूमंडल में जल है
तबतक जीवन में मंगल है
तोड़ मिलेगा हर संकट का
इसमें हर दुविधा का हल है
मौसम लगता है जहरीला
जो बोए ये उसका फल है
रुक जाएगी धड़कन दिल की
इससे साँसों में हलचल है
गाँठ हमेशा बाँधे रखना
मिथ्या नहीं ये बात अटल है
सुर-संगीत बसा है इसमें
निर्बल और कहीं भुजबल है
इसकी रक्षा करना हरदम
जल में आने वाला कल है
हर पय में बसती है गंगा
बिन जल के महि दावानल है
व्यर्थ बहाना छोड़ें ‘नवरंग’
बूँदों में सागर का बल है
■कवि संपर्क-
■79748 50694
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