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■1 जुलाई डॉक्टर्स डे पर विशेष : डॉ. सोनाली चक्रवर्ती.
♀ धन्यवाद डॉक्टर्स
दो साल पहले अगस्त में मेरा हर्निया का ऑपरेशन हुआ। उसके पहले एक साल तक मैंने अमानवीय पीड़ा सही। उससे छुटकारा मिला और एक साल होने पर मैं फिर वापस अस्पताल के वार्ड गई और मैंने सारी सिस्टर्स और डॉ.रमेश सर को धन्यवाद दिया।
डिस्चार्ज के समय मैनें सजेशन शीट में लिखा था कि वार्ड में कुछ ऑक्सीजन प्लांट होने चाहिए।
मैं उनके टेबल पर रखने के लिए पौधे लेकर गई ।
किताबें पढ़कर मैंने 15 दिन काटे थे तो मैंने उनकी लाइब्रेरी के लिए पांच पॉजिटिव थिंकिंग वाली किताबें लेकर गई और एक राधा कृष्ण की खूबसूरत तस्वीर जिससे प्रेम और शांति का संदेश मिले।
मेरी आदत है हमेशा डॉक्टर को धन्यवाद कहने की
पता नहीं क्यों आज अपने बचपन से अभी तक के सारे डॉक्टर्स याद आ गए।
💊💓
मैं पूरे संसार के,देश के, छत्तीसगढ़ के एवं भिलाई के समस्त चिकित्सकों को अपना श्रद्धा भरा प्रणाम प्रेषित करती हूं।
हम सब को धन्यवाद देना चाहिए उन सारे डॉक्टर का जिन्होंने कोरोना काल में हमें बचाए रखा ।हम अगर आज ठीक है तो यह उन सभी डॉक्टर्स की वजह से जिन्होंने अपनी जान की परवाह ना कर के हमारा इलाज किया।
🙏🙏 ‘धन्यवाद’ शब्द बहुत छोटा है उनके लिए जिनकी वजह से हम अपनी पूरी जिंदगी जी पाते हैं।
डॉक्टर के बगैर भी किसी का जीवन पूरी तरह बीत सकता है ऐसा कम से कम मैं तो नहीं सोचती।
आज मैं धन्यवाद देना चाहती हूं उन सारे डॉक्टर को जो मेरी जिंदगी से जुड़े हुए हैं बल्कि मेरे जन्म से पहले से
सेक्टर 9 चिकित्सालय की वरिष्ठ डॉ .श्रीमती राय चौधरी ने मेरी माता जी को देखकर कंफर्म किया था कि मेरे आने की खुशखबरी है। पूरी रात दर्द सहने के बाद आधे दोपहर को मेरा जन्म हुआ तब भी डॉक्टर मिसेस राय चौधरी वहां मौजूद थी कि मैं पूरी तरह स्वस्थ अवस्था में भूमिष्ठ हो सकूं।
मैं धन्यवाद करती हूं बाल चिकित्सक डॉक्टर मदन मदान को।
मुझे लगता है भिलाई में मेरी उम्र का कोई बच्चा ऐसा नहीं होगा जो डॉक्टर मदन की शरण में नहीं गया होगा। बच्चों के डॉक्टर के पर्याय थे डॉक्टर मदन मदान ।
बचपन में हर एक तकलीफ में डॉक्टर मदन मदान ने हमें स्वस्थ करने में अपनी भूमिका निभाई( मैं और मेरी बहन दोनों की)
मैं धन्यवाद करना चाहूंगी डॉ.ए.वी.दवे जी का
ना केवल हम चिकित्सा लेते थे बल्कि उनसे हम बहुत कुछ सीख सकते थे। बात करने का तरीके से लेकर और हाइजीन तक। पहले मेरे मम्मी पापा ने मुझे उनको दिखाया और उसके बाद जब मैं अपने बेटे को लेकर उनके पास गई तो वह बड़ा ही खूबसूरत पल था। जब मैंने उन्हें बताया कि सर मैं आपकी पेशेंट हूं और यह दूसरी पीढ़ी । उनकी धर्मपत्नी शोभा दवे मैडम मेरी क्लास फोर की क्लास टीचर थी( रिश्ता जुड़ा ही रहता है भिलाई वालों का)
2 साल 8 महीने की उम्र में मैं अपने बेटे को पहली बार किसी डॉक्टर के पास लेकर गई थी वो थे डॉक्टर दवे। पहली बार मेरे बेटे को सर्दी हुई थी ।उन्होंने मुझसे पूछा इससे पहले कौन से डॉक्टर को दिखाते थे। जब मैंने कहा किसी को नहीं सर हम पहली बार आपके पास आए हैं ।
उन्होंने मुझे बेहतरीन माता का जो तमगा दिया और मेरी प्रशंसा की-
“मैं आप को सैल्यूट करता हूं ढाई साल की उम्र तक आपने इस तरीके का हाइजीन मेंटेन किया कि बच्चों को होने वाली आम बीमारियां तक आपके बच्चे से दूर रहा”
यह मेरे जीवन का सर्वश्रेष्ठ मेडल था( यह मेरी पीएचडी अवार्ड से भी अधिक खुशी मुझे दे गया )
मैं धन्यवाद करना चाहती हूं डॉक्टर राजकुमार अग्रवाल जी का ।
जिनसे भिलाई में कोई भी अपरिचित नहीं है ।
बच्चे के पहले से लेकर आज तक के जितने टीके लगे वह डॉक्टर राजकुमार अग्रवाल जी के हाथों से लगे और हम उन्हें धन्यवाद देना चाहते हैं कि बच्चे की परवरिश में उन्होंने जो मदद की ,पल-पल हाइजीन से लेकर बड़े होते बच्चे की मानसिक अवस्था तक समझने में उन्होंने जो मदद की उसके लिए धन्यवाद देना बहुत मुश्किल होगा।
मैं ही नहीं मेरे जैसी कई माताएं डॉक्टर साहब की वाणी पर ही निर्भर थी। हमें घर के बड़े बुढ़े जो भी समझाते…..जब तक डॉक्टर राजकुमार अग्रवाल नहीं कहते कि हां ,बच्चे की ग्रोथ ठीक है और आप जो खिला रहे हैं वह सही है ।तब तक हम निश्चित नहीं होते।
जब डॉक्टर साहब बच्चे का वजन ,हाइट और सारी जांच कर रहे होते तब हम जिस उम्मीद भरी निगाहों से उनकी तरफ देखते होते हैं वह मेरी उम्र की सखियां को ज्ञात होगा और डॉक्टर साहब फिर जैसे ही अपनी खूबसूरत मुस्कान के साथ कहते -ग्रोथ बहुत अच्छी है। आपने बहुत अच्छी देखभाल की।
तो बाहुबली जैसी फीलिंग आ जाती थी अपने अंदर।
धन्यवाद देना चाहती हूं डॉ अनुराग दीक्षित जी को। शाश्वत को जब भी कुछ भी छोटी सी प्रॉब्लम हुई हम उनके पास दौड़े जाते और वह अपनी मोटिवेशनल बातों से शाश्वत का मॉरल इतना हाई कर देते कि उसके बाद और दवाइयों की भी जरूरत नहीं पड़ती।
मैं धन्यवाद देना चाहती हूं सेक्टर 9 चिकित्सालय के कैजुअल्टी में अपनी ड्यूटी देने वाले सारे सम्मानीय डॉ गणों को जिन्होंने रात आधी रात को तेज बुखार में और किसी भी इमरजेंसी में हमें देखा और हमें स्वस्थ होने में मदद की।
ऐसी ऐसी समस्याएं भी सुनी थी जिसे आज सोच कर मुझे हंसी आती है कि मैं रात के 9:00 बजे कैजुअल्टी पहुंची कि -“डॉक्टर साहब मेरा गला बुरी कदर बैठ गया है और बुखार से बुरा हाल है।
कल मेरा म्यूजिक कंपटीशन है …हमारे ग्रुप को फर्स्ट आना ही है और मैं मेन सिंगर हूं ।आप कुछ भी कीजिए ”
मैडम ने मुझे कुछ दवाइयां दी
……अगले दिन हम फर्स्ट आए और ट्रॉफी लेकर मैं घर नहीं पहुंची।
अस्पताल जाकर उन्हें दिखाते हुए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि -“लोग हमारे पास सिर्फ प्रॉब्लम्स लेकर आते हैं ठीक होने के बाद कोई नहीं बताता ।
आप पहली है ”
मैंने कहा यह मेरी शुरु से आदत है मैं ठीक होने के बाद एक बार और डॉक्टर के पास जाती हूं। उन्हें भी पता चलना चाहिए कि उनकी चिकित्सा का नतीजा क्या हुआ ।
हम अपनी समस्याएं ही बताते रहेंगे तो वो कैसे जिएंगे?
हमें अपनी खुशियां भी उनसे बांटनी चाहिए कि अब हम बिल्कुल ठीक हैं और इसकी वजह सिर्फ आप हैं।🎁🤝
मैं धन्यवाद देना चाहती हूं से-9 के डॉक्टर खुराना जी को जिन्होंने मेरे बेटे को पैदा होने के तुरंत बाद देखा।
डॉ.मीना जैन,डॉ.मोटघरे,डॉ.दत्ता,डॉ.माला विश्वास,
डॉ. मालिनी,डॉ.चतुर्वेदी इन सब का धन्यवाद करने करना बहुत छोटी बात हो जाएगी जिन्होंने गर्भावस्था को आसान बनाया।
डॉ शारदम्मा की मोहक मुस्कान के लिए उनका धन्यवाद करूं या उनकी बातों से खुद में जो ताकत जगी इसके लिए धन्यवाद करूं।
डॉ.हिरन
डॉ.कौशलेंद्र ठाकुर
आपके कारण बाबा को जीवन मिला था
मैं धन्यवाद करना चाहती हूं डॉक्टर राजेश शुक्ला का जिन्होंने बचपन में शाश्वत को जब भी देखा उसके बारे में भविष्यवाणी है की-” यह बच्चा बहुत अच्छा निकलेगा मेरा आशीर्वाद है”
इस बात का धन्यवाद मैं कैसे करूं
मैं धन्यवाद करना चाहती हूं डॉक्टर के.एच.रमेश को जिन्होंने मुझे हर्निया जैसी जानलेवा बीमारी से बचाया और उनके ऑपरेशन के बाद मैं बिल्कुल ठीक हूं।
मैं डॉक्टर रमेश के बारे में कुछ भी कहूं तो कम होगा। फलदार वृक्ष अधिक झुका होता है यह डॉक्टर रमेश को देखकर पता चलता है। उनका धीरे बात करना व विनम्रता देख कर मन मुग्ध हुआ जाता है ।
लेकिन जब मैंने ऑपरेशन थिएटर में उन्हें देखा……
थियेटर के बाहर बेंच पर जब मुझे बिठाया गया था डॉक्टर साहब अपना हरा गाउन बांधते हुए आ रहे थे उन्होंने मुझे देख कर कहा कि -“गुड मॉर्निंग बिल्कुल तैयार हैं ?कैसे हैं आज ?”
और मैंने उनकी आंखों में वह अद्भुत चमक देखी जो किसी आर्टिस्ट के स्टेज पर प्रवेश करने के पूर्व होती है। अब मुझे एक क्षण में समझ में आया कि अपना काम डॉक्टर साहब को कितना पसंद है और मैं अपने ऑपरेशन के प्रति निश्चिंत हो गई।
मैं धन्यवाद करना चाहूंगी डॉक्टर विक्रम बघेल जी को जो बहुत छोटे से प्यारे से उर्जावान डेंटिस्ट है लेकिन उन्होंने कई बार मेरा मनोबल बचाए रखा।
मेरे दिल के बेहद करीब मेरी एक छोटी सी सहेली है डॉ.कृतिका वैष्णव ।
यहां सिर्फ उसे धन्यवाद ही दे सकती हूं क्यों कि कृतिका के लिए मुझे पूरा अलग ग्रंथ लिखना पड़ेगा। मैं उसकी बहुत बड़ी फैन हूं। किसी को अगर अपनी बेटियों की परवरिश करनी है तो कृपया कृतिका को देखें ।
मैं कुछ दिन बाद उसके ऊपर कुछ लिखूंगी उसके ऊपर लिखना उतना आसान नहीं है लेकिन “थैंक यू फॉर एवरीथिंग” इतना तो कर ही सकती हूं
अभी एम्स रायपुर में पीजी की स्टूडेंट है ।बेहद ज़हीन छात्रा बेहद खूबसूरत इंसान और बेहद अच्छी डेंटिस्ट है
और इसके बाद मैं आती हूं अपने बचपन के दोस्त डॉक्टर सत्यव्रत सिंह चौहान पर ।
यह मेरे डेंटिस्ट है और कहीं इनको मैंने धन्यवाद दे दिया तो ये खुशी से बेहोश होकर गिर जाएंगे अपनी क्लीनिक में
इसलिए मै इनको धन्यवाद नहीं कहूंगी ।इतनी खुशी बर्दाश्त करने की इनको आदत (और उम्र)नहीं।
जब भी ये मेरी दांतो की ट्रीटमेंट करते हैं ….मैं उनके साथ इतना सुमधुर भाषण करती हूं कि वह धन्य हो ही जाते हैं।
लेकिन वह सारी बकवास को सुनने के बाद भी धैर्य पूर्वक मेरे दांत निकालना या उनका आरसीटी करना या उनका इलाज करना यह कोई छोटी बात नहीं है यह सिर्फ डॉक्टर सत्यव्रत सिंह चौहान जानते हैं ।
डॉक्टर चौहान डिजर्व करते हैं ।उनका व्यक्तित्व इतना विश्वासनीय है कि हम सारे दोस्त उनके ऊपर डिपेंडेंट है।
अभी कहीं जाती हूं तो उसके छुटकु से बेटे के लिए गिफ्ट ढूंढती हूं।
कोई पूछता है किसके लिए ले रही हो तो मैं कहती
“पोता ही समझिए’
जब उसके पिता की शादी हमने करवाई है तो यह पोता ही तो हुआ
क्योंकि उसके जन्म के वक्त भी लेबर रूम के बाहर की सारी टेंशन भी हमने झेली है और उसको पहली बार देखने वाले भी हम ही थे।
डॉक्टर साहब को कभी-कभी घर से भी उठाया गया है क्योंकि मेरे जैसे दांतों के सभी मरीज जानते हैं जब तक दांतों का दर्द सर पर ना चढ़ जाए हमें डेंटिस्ट की याद नहीं आती ।
ऐसे ही एक छुट्टी के दिन दांतों का दर्द जब सर के ऊपर से निकल गया तब रोते पीटते मैंने अपने हस्बैंड को फोन किया और उन्होंने डॉ सत्यव्रत को उसके घर से जाकर ‘किडनैप’ किया और क्लीनिक का ताला खुलवा कर दांतों का इलाज किया गया।
अब इसके लिए धन्यवाद देना तो अच्छा नहीं लगेगा ना
साढ़े सोलह आना
सोनालीयाना
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[ ●डॉ. सोनाली चक्रवर्ती ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ प्रिंट एवं वेबसाइट वेब पोर्टल की डायरेक्टर हैं और ‘स्वयंसिद्धा’ की निदेशक हैं. ●संपर्क- 98261 30569 ]
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