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- ♀ अमृत महोत्सव पर हुवा लेखक डॉ. परदेशीराम वर्मा का अभिनन्दन.
♀ अमृत महोत्सव पर हुवा लेखक डॉ. परदेशीराम वर्मा का अभिनन्दन.
♀ संघर्ष के पर्याय हैं डॉ. परदेशीराम वर्मा -कुलपति प्रो.केशरीलाल वर्मा.
♀ डॉ. परदेशीराम वर्मा आधुनिक तीर्थ भिलाई के लौह पुरुष हैं-डॉ. सुशील त्रिवेदी.
♀ डॉ. परदेशीराम वर्मा का लेखन लोकराग का है. आंचलिकता के स्तर पर वे रेणु की ऊंचाई पर पहुंचते हैं-गिरीश पंकज.
♀ 62 वर्षों का सार्थक लेखन डॉ. परदेशीराम वर्मा को छत्तीसगढ़ का ‘प्रेमचंद’ बनाता है-डॉ. सुधीर शर्मा.
♀ रायपुर
अमृत महोत्सव पर वरिष्ठ लेखक डॉ परदेशी राम वर्मा का अनेक संगठनों ने राजधानी रायपुर में रविवार को आयोजित कार्यक्रम में अभिनंदन किया। मुख्य अतिथि कुलपति प्रो केशरीलाल वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ी अस्मिता को आगे बढ़ाने में डॉ परदेशी राम वर्मा की बड़ी भूमिका है। वे संघर्ष के पर्याय हैं। आनेवाली पीढ़ी को साहित्य सृजन के लिए प्रशिक्षित करने में वे अग्रणी रहे। समूचे देश में उनके लेखन की प्रतिष्ठा है। वे हमारे समय का सूक्ष्म अवलोकन कर साहित्य में लेखन करते हैं।
मुख्य अतिथि कुलपति प्रो केशरीलाल वर्मा और अध्यक्ष डॉ सुशील त्रिवेदी सहित आठ संस्थाओं ने उनका 75 वें जन्मदिवस पर अभिनंदन किया। इनमें छत्तीसगढ़ मित्र, गुरु घासीदास साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समिति, नारायणी साहित्य समिति, इंटैक, अपना मोर्चा डाट कॉम, छत्तीसगढ़ राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वैभव प्रकाशन, आदि शामिल हैं।प्रारंभ में स्वागत भाषण देते हुए डॉ सुधीर शर्मा ने कहा कि 62 वर्षों का सार्थक लेखन परदेशी राम वर्मा को छत्तीसगढ़ का प्रेमचंद बनाता है। कहानी और उपन्यास वंचित मनुष्य की आवाज हैं। डॉ जे आर सोनी ने कहा कि छत्तीसगढ़ी की अस्मिता के लिए डॉ वर्मा ने सदैव लिखा है। वे दलितों के प्रतिनिधि लेखक हैं।अध्यक्षीय उद्बोधन में छत्तीसगढ़ मित्र के संपादक डॉ सुशील त्रिवेदी ने कहा कि वे डी लिट के मानद उपाधि प्राप्त साहित्यकार हैं । युवा अवस्था में फौज में शामिल होना उनके संघर्षों की शुरुआत है। वे आधुनिक तीर्थ भिलाई के लौह पुरुष हैं।वरिष्ठ साहित्यकार श्री गिरीश पंकज ने कहा कि परदेशीराम वर्मा का लेखन लोकराग का है। वह आंचलिकता के स्तर पर वे रेणु की उंचाई पर पहुंचते हैं। देश में आज खास किस्म का लेखन चल रहा । संवेदना और करूणा गायब है लेकिन डॉ वर्मा की रचनाएं मनुष्य के जीवन को जीती हैं।अपना मोर्चा के संपादक राजकुमार सोनी ने कहा कि वे अपनी माटी के लेखक है। वे आंचलिक होकर भी ग्लोबल हैं।भाषाविद डॉ चित्तरंजन कर ने कहा कि व्यक्ति के जीवन का नहीं उनकी कृति का अमृत महोत्सव है। उनकी रचनाएं काल से संवाद करती है। सरल लिखना और जीना सबसे कठिन होता है। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सचिव डॉ अनिल भतपहरी ने कहा कि वे शहर से गांव की ओर जा रहे हैं। वे प्रतिमानों का लोकगत प्रयोग कर रहे हैं।अभिनेता डॉ अजय सहाय ने कहा कि वे मनुष्य के प्रत्येक स्तर के पाठकों के प्रिय लेखक हैं।डॉ के के अग्रवाल ने डॉ वर्मा को कालजयी कथाकार बताया।कवि राजेन्द्र वर्मा, बालोद से आए कवि अशोक आकाश, महेश वर्मा, स्मिता वर्मा आदि ने शुभकामनाएं दीं।लेखक श्री बंशीलाल ने उनके अनुभव सुनाए।इस अवसर पर इंटैक के अध्यक्ष अरविंद मिश्रा, चंदैनी गोंदा के डा सुरेश देशमुख, राजाराम रसिक, डॉ मृणालिका ओझा, राजेंद्र ओझा और माधुरी कर आदि ने शुभकामनाएं दीं।
[ ●समाचार प्रेषित, डॉ. सुधीर शर्मा ]
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