जम्मू-कश्मीर में जल्द होगा चुनाव, इंतजार हुआ खत्म, गृह मंत्री अमित शाह ने कही बड़ी बात
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में बहुत जल्द पूरी पारदर्शिता के साथ चुनाव आयोजित कराए जाएंगे, बस निर्वाचन आयोग की ओर से अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन का इंतजार है. उन्होंने यह बात उत्तरी कश्मीर के बारामूला में अपनी जनसभा के दौरान कही. उन्होंने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार देश के इस हिस्से से आतंकवाद का पूरी तरह सफाया कर देगी. केंद्रीय गृह मंत्री ने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान से किसी तरह की बातचीत नहीं होगी. केंद्रशासित प्रदेश के अपने 3 दिवसीय दौरे के अंतिम दिन अमित शाह ने ‘अब्दुल्ला एंड संस’, ‘महबूबा एंड कंपनी’ कहकर नेशनल कॉफ्रेंस और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी नेतृत्व पर जमकर निशाना साधा.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के समर्थन से 1990 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद की समस्या ने पैर पसारे और इसकी कीमत 3 दशक में केंद्रशासित प्रदेश के 42000 निर्दोष नागरिकों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. अमित शाह ने कहा, ‘कुछ लोग हैं जिन्होंने बीते 70 साल तक शासन किया और अब मुझे पाकिस्तान से बातचीत करने की सलाह देते हैं. लेकिन इस मुद्दे पर मेरी सोच स्पष्ट है. मैं पाकिस्तान से किसी तरह की बात नहीं करना चाहता, मैं जम्मू-कश्मीर की जनता के साथ संवाद चाहता हूं. निर्वाचन आयोग की ओर से अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन का इंतजार है. इसके बाद यहां चुनाव होंगे और जम्मू-कश्मीर की जनता द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि ही यहां सरकार चलाएंगे.’
केंद्रीय गृह मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूती प्रदान की है. उन्होंने मंगलवार को राजौरी की अपनी जनसभा में कहा कि पहले यहां ‘तीन परिवारों’ के हाथों में ही सत्ता की बागडोर रहती थी. लेकिन अब पंचायत और जिला परिषद के 30,000 निर्वाचित प्रतिनिधि भी सरकार का हिस्सा हैं. उन्होंने जम्मू-कश्मीर को विकास की दौड़ में पीछे रखने के लिए अब्दुल्ला, मु्फ्ती और नेहरू-गांधी परिवार को दोषी ठहराया. अमित शाह ने कहा कि इन परिवारों ने अपने हित के लिए जम्मू-कश्मीर के संसाधनों का इस्तेमाल किया और आम जनता की भलाई के लिए कुछ नहीं किया. जब सत्ता में रहे तो ताकतों का बेजां इस्तेमाल कर खूब भ्रष्टाचार किया.
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 2019 के पहले कुल 17000 करोड़ का निवेश हुआ था, लेकिन बीते 3 वर्षों में ही केंद्रशासित प्रदेश में 56000 करोड़ का निवेश आया है. उन्होंने कहा, मैं फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से पूछना चाहता हूं कि उनके 70 वर्षों के शासन में जम्मू-कश्मीर में कितना निवेश आया? कितने उद्योग स्थापित हुए, कितनी कंपनियां खुलीं? कितने युवाओं को रोजगार मिला? उन्होंने आरोप लगाया कि देश के अन्य राज्यों में एंटी करप्शन ब्यूरो था, जबकि जम्मू-कश्मीर में नहीं था. क्योंकि यहां के तीन परिवारों ने इसका रास्ता रोककर रखा था. केंद्रीय गृह मंत्री ने युवाओं से हिंसा के रास्ते पर नहीं जाने की अपील की, क्योंकि इससे कभी किसी का भला नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर को देश में सबसे शांत और सुरक्षित स्थान बनाना चाहते हैं. पहले यह टेररिस्ट हॉटस्पॉट हुआ करता है, लेकिन अब टूरिस्ट हॉटस्पॉट है.
[ ‘ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ न्यूज़ रूम से संवाददाता ]