- Home
- breaking
- literature
- वंशबेली
वंशबेली
कनकलता आँगन में टहल रही थी। उसने देखा कल तक कितना सुन्दर सेवेंती के फूल गमले की शोभा बढ़ा रहे थे। अचानक आए बारिश ने इन फूलों को कितना अधिक नष्ट कर दिया है । खिलने के पहले ही कितनी कलियाँ मुरझा गई, टूट गई है। सारे सेवंती के फूल की पंखुड़ियाँ तार तार हो गई है। यह सब देख कनकलता कुछ धूप और छाँव के बीच चेयर रख बैठ गई । सामने परात में रखे हुए चना भाजी को तोड़ने में मगन हो गई । मन ही मन सोचने लगी कि प्रकृति का ये कैसा खेल है। कभी बारिस कभी ओला पल में ही बगीचे की दुर्दषा हो जाती है।
तभी अचानक हँसती खिलखिलाती अनुश्री आ धमकी साथ में कोई लड़का था । चश्मा ठीक करते हुए कनकलता उसे पहचानने की कोशिश करने लगी । मम्मी देखे कौन आया है ?
अरे बेटा चिन्मय तुम कब आ गए ? तुम्हारी पढ़ाई तो खत्म हो गई। नहीं आंटी अभी एम.डी. करना बाकी है। कार्डियोलाजिस्ट बनने का सपना कहाँ पूरा हुआ है ? डाक्टर तो बन गया है ना । आगे जो सोच रहा है वह भी हो जायेगा । तुम्हारी मम्मी श्यामा दीदी तुम्हारे याद में कितना रोती रहती है । आखिर मम्मी पापा के सपने को भी पूरा करो शादी व्याह कर घर गृहस्थी का आनंद लो यही तो जीवन है।
आंटी जी आप कैसी बात करने लगी हो ? एक बार शादी हो गई तो फिर सारा कैरियर चैपट हो जाता है। गृहस्थी के जंजाल में ना जाने कितनी परेशानी आ खड़ी होती है। सच बताऊँ आंटी जी शादी व्याह के झमेले में पड़ना ही नहीं चाहता हूँ ।
यह सब सुनकर कनकलता सोचने लगी । क्या जमाना आ गया है ? आजकल शादी व्याह में बच्चों की रजामंदी लेना जरूरी हो गया है । कुछ तो ऐसे भी होते हैं जो साफ कह देते है। अपनी इच्छानुसार ही षादी करूँगा । श्यामा दीदी कितने परिवार की सुन्दर-सुन्दर लड़कियों की तस्वीर इकट्ठा कर रखी है। हर पल यही बात कहती रहती है। बेटा चिन्मय आयेगा उसकी पसंद की जो भी तस्वीर होगी बस दूसरे हप्ते ही विवाह की तैयारी में व्यस्त हो जाऊँगी। चिन्मय बेटा सत्ताईस साल का हो गया है। अब उसके विवाह में कोई भी अनाकानी नहीं सूनूँगी ? आखिर हमारा भी तो सपना है अपने पोते पोतियों के रूप में बाल गोपाल की छबि देख निहाल होने का है।
श्यामा दीदी आज कितना खुष है, उसका बेटा डाँक्टर बनकर पाँच वर्ष बाद घर आ रहा है। बेटे के मनपसंद सबकुछ आज ही बना डालूँ । श्यामा आज किचन से बाहर निकल ही नहीं रही है। इस पर सदानंद जी ने जरा जोर से आवाज लगाया क्या बात है ? आज चाय मिलेगी भी या नहीं ? अभी तो बेटा घर आया नहीं है तब तो ये हाल है। आ जायेगा तब पता नहीं क्या होगा। …….
रात के नौ बज गए हैं श्यामा बरामदे में रखे चेयर में बैठे-बैठे बेटे का रास्ता देख रही थी। तभी चिन्मय अपनी मित्र मंडली के साथ हँसते किसी विशय पर बहस करते हुए अंदर आता है।
मम्मी आप यहाँ क्यों बैठी हो ? तेरा रास्ता देख रही थी। एक हप्ते हो गया तुझे यहाँ आये पर मम्मी के पास पांच मिनट बैठने के लिए फुर्सत ही नहीं है।
मम्मी आप ये कैसी बात कर रही है। बरसों बाद आया हूँ। मित्र मंडली कुछ ही लोग तो यहाँ रह गए है। बाकी सब अपनी सर्विस के कारण बाहर चले गए है कुछ उनकी बातें सुन रहा हूँ, कुछ अपनी बातें बता रहा हूँ इसी से समय का पता ही नहीं चला।
कोई बात नहीं, चल पहले खाना खा लो ? मम्मी मै बताना भूल गया था। कनकलता आंटी आज मेरे लिए स्पेशल डिस ’’रसाज’’ और मूंग का हलुवा बनायी थी। समीर अनुश्री दीदी हम सभी की अच्छी दावत हो गई। कल सुबह आपसे बहुत बातें करूँगा, अभी मुझे नींद आ रही है। ठीक है….
श्यामा दीदी चाय देते हुए आठ दस तस्वीर चिन्मय के सामने रख देती है। ये क्या है मम्मी ? तस्वीर है! एक डाँक्टर क्टर लड़की भी है तुम जिसे कहोगे अभी आज ही बात पक्की कर देंगें।
पापा आप कुछ बोलते क्यों नहीं मम्मी मेरा पूरा कैरियर चैपट कर देगी। अरे मैं क्या बोलूँ ? तेरी मम्मी कभी मेरा सुनती है ? उसे तो बस अब तुम्हारी शादी की ही चिंता है। हर किसी को कहती रहती है मेरा बेटा डाँक्टर बन गया है। वह आजकल के लड़कों जैसा नहीं है, वह मेरी पसंद की ही लड़की से षादी करेगा।
पापा ये तो सच है कि मै मम्मी के पसंद की ही लड़की से शादी करूँगा, पर एम.डी. करने के बाद। यह सुनते ही मम्मी जोर से कहती है। हम लोग कोई अमर बेल खाकर नहीं आए हैं ? डाँक्टर बन गया अब षादी कर लो ? फिर जिंदगी भर पढ़ाई करते रहना ? मैं हमेषा तुम्हारी हर बात मानती आयी हूँ, तुम मेरा एक बात नहीं मानोगे ?
श्यामा दीदी बिना चाय पिए अपने कमरे में जाकर लेट गई। पापा आप मम्मी को समझाओ ना ? सुबह से दोपहर शाम हो गई । बेटा चिन्मय का कुछ पता नहीं ? श्यामा दीदी ने भी खाना नहीं खाया।
दूसरे दिन चिन्मय ने अपनी मम्मी का बी.पी. टेस्ट किया। पापा मम्मी को हास्पिटल ले जाना होगा।
मम्मी मैं तुम्हारे इच्छानुसार शादी करने को तैयार हूँ पर तुम पहले ठीक हो जाओं । सच बेटा! श्यामा दीदी की आँखों से खुशी के आँसू झरने लगा । बेटा मुझको कुछ नहीं हुआ है। तुम ये सब तस्वीर देख लो। जो पसंद हो बता दो। बेटा- ये लड़की शेफाली मुझे बहुत पसंद है और इसकी विषेशता ये भी इसी साल डाक्टरी की पढ़ाई पूरा कर घर लौटी है।
ठीक है मम्मी पर पहले आपको हास्पिटल जाना पड़ेगा। ठीक हो जाओ तभी शादी करूँगा। मुझको कुछ नहीं हुआ है। अभी खाना खाऊँगी फिर सब कुछ ठीक हो जायेगा। खुश रहो बेटा, आज मैं बहुत खुश हूँ।
विवाह की आपाधापी में ष्यामा ने अपने स्वास्थ्य की ओर बिलकुल ध्यान नहीं दिया। बेटे बहु को हनीमून मनाने मसूरी भेज दी। एक हप्ते तक सब कुछ ठीक ठाक चलता रहा। अचानक एक दिन श्यामा दीदी को आंगन में ही चक्कर आ गया और वहीं पर गिर पड़ी । दीदी कपड़ों को सुखाने गयी थी । बाल्टी के गिरने की आवाज से घर में पेपर पढ़ते सदानंद जी तुरंत आंगन में आए। तो वहाँ श्यामा को देख विस्मृत हो गए। तुरंत श्यामा को हास्पिटल ले जाया गया।
सदानंद जी ने बेटे बहु को फोन किया। चिन्मय मम्मी की बीमारी सुनते ही तुरंत वापस आने की तैयारी करने लगा। परंतु चिन्मय के पहुँने के पश्चात ऐसा लग रहा था मानो मम्मी सुख की नींद सो रही है।……
समय की धारा निरंतर बहते रहती है। वह कभी नहीं रूकती है। आज घर में श्यामा दीदी की बरसी है। रिश्तेदारों की भींड़ थी। डाक्टरों ने बतलाया कि कभी भी डिलिवरी हो सकती है । इसलिए शेफाली बहुरानी को हास्पिटल में ही एडमिट कर लिये थे।
घर में ब्राम्हण भोज का समस्त कार्य निर्विघ्न सम्पन्न हो गया। शाम के समय चिन्मय हास्पिटल जाने को तैयार था । तभी फोन आया, शेफाली बहुरानी ने जुड़वा बच्चे को जन्म दिया है। चिन्मय ने पूछा बेबी और उसकी माँ ठीक तो है! सब कुछ ठीक है। आपको बधाई है आप एक बेटा और एक बेटी के पिता बन गए। सदानंद जी ने हँसते हुए कहा-चलो तुम्हारी मम्मी की यह मनोकामना भी पूर्ण हो गई।
डॉ . नलिनी श्रीवास्तव
“शिवायन”
3-बी, सड़क नं.-33, सेक्टर-1,
भिलाई, पिन-490001
मो.-9752606036