14 सितंबर आज़ हिंदी दिवस पर विशेष
आज हिंदी दिवस
सपनों की सहज भावभूमि तैयार करती हिंदी
भावनाओं की खुशबू का विस्तार करती हिंदी
हम आँखों से भी व्यक्त करते आत्मीय शब्द
अभिव्यक्ति का अद्भुत चमत्कार करती हिंदी
शायद बच्चे सोनहीं पाते अंग्रेजी पोयम सुनके
लोरी से सुनहरे सपनों का संसार गढ़ती हिंदी
नफरत , राजनीती का शिकार होती हर बार
सदभावना की देवी सबको प्यार करती हिंदी
नए शव्द शिल्प ,भाषा शैली से नई पीढ़ी का
संस्कृति सभ्यता से सबका श्रृंगार करती हिंदी
कोर्ट- कचहरी, सुरक्षा-प्रहरी, थाने कारखाने
सबमें परस्पर संवाद का आधार लगती हिंदी
नवजात शिशु की बन्द गुलाबी मुठ्ठी की तरह
हर आदमी का नैसर्गिक अधिकार लगती हिंदी
उर्दू ,अरबी ,अवधी ,फ़ारसी बहु भाषी रूप में
कौमी एकता का कुटुंब – परिवार लगती हिंदी
राम, रहीम ,रॉबर्ट और रजिंदर में भी परस्पर
भाई चारे का राट्रीय प्रेम संचार करती हिंदी
भारतीयता व् आत्मीयता के दो तटों के बीच
पावन गंगा की तीब्र अविरल धार लगती हिंदी
परमेश्वर वैष्णव
अध्य्क्ष-
प्रगतिशील लेखक संघ,जिला-दुर्ग,भिलाई
संपर्क- 94255 57048