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कला अकादमी छत्तीसगढ़ की ओर से दो दिवसीय ‘ प्रारंभ ‘ की शुरुवात, युवा कलाकारों की सधी हुई प्रस्तुतियां…
रायगढ़ [छत्तीसगढ़ आसपास] : कला अकादमी छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद संस्कृति विभाग की ओर से दो दिवसीय विशेष आयोजन ‘प्रारंभ’ का शुभारंभ सोमवार की शाम नगर निगम ऑडिटोरियम पंजरी प्लांट रायगढ़ में हुआ। पहले दिन सृष्टि गर्ग, नित्या खत्री और चिरंजीवी हलधर ने कथक की सधी हुई प्रस्तुतियां दी। दर्शकों ने इस स्तरीय कार्यक्रम को सराहा व कलाकारों के प्रस्तुतिकरण की भी जम कर तारीफ की।
शुरूआत में जिला न्यायाधीश रजनीश श्रीवास्तव,नगर पालिका निगम के कमिश्नर संबित मिश्रा, तबला गुरु निमाई चरण पंडा और कथक गुरु पं. रामलाल की मौजूदगी में दीप प्रज्ज्वलन किया गया। कला अकादमी के अध्यक्ष योगेंद्र त्रिपाठी ने आयोजन के उद्देश्य की जानकारी देते हुए बताया कि युवा कलाकारों की नृत्य प्रस्तुतियों के माध्यम से जहां दर्शकों को इनकी शैलियों से परिचित करवाना है, वहीं इन कलाकारों को मंच प्रदान करना है।
शुरूआत चिरंजीवी हलधर के कथक से हुई। चिरंजीवी ने डॉक्टर आरती सिंह से नृत्य की शिक्षा ली है और कथक पर संगीत विशारद और स्नातक की उपाधि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से ली है। उन्होंने ऐडा इंटरनेशनल डांस कंपीटिशन उदयपुर राजस्थान में परफॉर्मिंग आर्टिस्ट के तौर पर मंचीय प्रस्तुति दी है। कौशल महोत्सव रायपुर 2022 में उन्हें नृत्य शिरोमणि अवार्ड से सम्मानित किया गया है। वर्तमान में वह वह कमला देवी संगीत महाविद्यालय रायपुर में सेवारत है। उन्होंने यहां रायगढ़ के मंच पर अपनी कथक की प्रस्तुति में वंदना अर्धांग प्रस्तुत की। जिसमें ताल पक्ष में तीन ताल, तीन ताल में उठान, उपज, ठाट, आमद, तोड़े, टुकड़े व परण प्रमुख थे। अंत में उन्होंने भजन हरि हर शंकर पर नृत्य की अभिव्यक्ति दी।
दूसरी कलाकार नित्या खत्री के साथ संगत में तबला एवं पढंत में उनके गुरू भुपेन्द्र बरेठ ने साथ दिया। वहीं लहरा एवं गायन में ठाकुर साहिल सिंह ने संगत की और सारंगी वादन के साथ उस्ताद शफीक हुसैन ने तालमेल बिठाया। नित्या ने राग शंकरा में शिव वंदना प्रस्तुत की। इसके बोल ‘महादेव शिव हर हर’ चौताल पर निबद्ध थे। दूसरी प्रस्तुति चक्रधर महाराजा द्वारा रचित कुछ काव्यात्मक एवं चित्रात्मक बंदिशे ताल- त्रिताल में उठान, थाट, उपोद्घात, त्रोटक के साथ थी, जिसमें पैर कि लयकारियॉं व बांट पर विशेष जोर था। तीसरी प्रस्तुति राजा जी द्वारा रचित ठुमरी के बोल ‘लचकत आवेरी नवेली पनिहारिया’ दादरा ताल व राग पीलू में थे।
पहले दिन की तीसरी कलाकार सृष्टि गर्ग ने अपने गुरु पंडित सुनील वैष्णव के मार्गदर्शन में मंचीय प्रस्तुति दी। सृष्टि वर्तमान में भारतीय शास्त्रीय कथक नृत्य में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से संगीत विशारद और प्रयाग संगीत समिति प्रयागराज से कथक में प्रभाकर के अंतिमवर्ष में अध्ययनर हैं। वह राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रमुख प्रतियोगिताओं व मंचीय प्रदर्शनों में भाग लेकर प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी है। उन्हें दुबई में ‘नादम नृत्य प्रतिभा सम्मान’ से, जबलपुर में ‘कलापुष्प’, कटक ‘में कला साधक सम्मान’, और मथुरा में “नृत्य मणि अलंकरण” से सम्मानित किया गया है। उन्होंने संगीत नाटक अकादमी द्वारा भोपाल में आयोजित “आज़ादी का अमृत महोत्सव” में परफार्मिंग आर्टिस्ट के तौर पर नृत्य किया है। यहां ‘प्रारंभ’ कार्यक्रम के अंतर्गत उन्होंने शुरूआत शिव स्तुति से की। तीन ताल में उठान, ठाट, आमद, तोड़े टुकड़े, रायगढ़ घराने के कुछ बोल शामिल थे। अंत में उन्होंने चंद्र बदन ठुमरी की प्रस्तुति दी। तीनों प्रस्तुतियां बेहद सराही गईं।
आज ‘कलाचर्या’ और मंचीय प्रस्तुतियां
आयोजन में दूसरे दिन 31 जनवरी को सुबह 11:00 बजे ‘कलाचर्या’ के अंतर्गत रायगढ़ घराने के कथक नृत्य आचार्य पंडित रामलाल से वासंती वैष्णव, सुनील वैष्णव एवं भूपेंद्र बरेठ की बातचीत होगी। शाम 6:00 बजे से चित्रांशी पणिकर, ओजस्विता रॉयल और तनुश्री चौहान की नृत्य प्रस्तुतियां होंगी। कला अकादमी के अध्यक्ष योगेंद्र त्रिपाठी ने इस अवसर पर कलाप्रेमी दर्शकों से उपस्थिति की अपील की है।
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