कविता
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कुछ मुट्ठी पर लड़कियां
-सीता चौहान ‘पवन’,ग्वालियर
कुछ मुट्ठी भर लड़किया
कुछ मुट्ठी भर लड़कियां
हमेशा नही ढोती
निराशाओं को अपने कंधो पर
वह सदा बाँधे रखती है
थोड़ी सी उम्मीद
अपने आँचल के छोर में
सदैव करती है प्रतीक्षा
बुरे दिनों में भी
अपने अच्छे समय की
आत्मविश्वास से चमक उठती है उनकी आँखें अंधकार में भी
किसी जुगनू की तरह
असहनीय दुख में भी करती है
परिभाषित उनकी सहनशीलता
सुदृढ़ता को
उन्हें कभी नही तोड़ पाते
सामाजिक कुप्रथाओं के प्रहार
वह रखती हैं हमेशा
सकारात्मक तर्कों की ढाल
होकर सजग और वाचाल
यही मुट्ठी भर लड़कियां
करती है प्रतिनिधित्व
युवा नारी जाति का
कवयित्री संपर्क- 83192 80652