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कविता आसपास : संध्या श्रीवास्तव
2 years ago
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🌸 जब भी आता है शिशिर का मौसम…
– संध्या श्रीवास्तव
[ भिलाई दुर्ग, छत्तीसगढ़ ]
जब भी आता है शिशिर का मौसम
आने लगता है विगत स्मरण
उभर आता है विगत का वो
चित्र मय क्षण।
जब शीत में कपकपाते
कांधो पर मेरे धर दिया था
तुमने अपना नीला कोट
सिहर गयी थी मैं पोर पोर।
तुम्हारी ख़ुशबू में भीगा
रेशा रेशा पुरजोर
करने लगा जादुई असर
रोम रोम हुआ विभोर।
अपने हिस्से की गर्माहट जो
दे दी मुझे उदार
और ले लिया था मेरा किशोर मन
मुझसे सविनय साधिकार।
शिशिर के मौसम में भी
गुलाबी चेहरे पर मेरे
झलक थी कुछ
मासूम मोहब्बत की बूंद।
समय के पथ पर सुदूर
चलते चलते हम हुए दूर दूर
जब भी चलतीं हैं हवाएँ सर्द
दिल में उठती है एक कसक
और छँट जाती है धुँध
तब आते हो तुम याद बहुत।।
•संध्या श्रीवास्तव
•संपर्क –
•99813 01586
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