होली विशेष : डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी ‘ सब्र ‘
🌸 दुश्मन को भी दोस्त बना दे ये होली…
प्यार के रंग में रंगा हुआ जो मन होता है, उसका चर्चा, हर घर, हर आंगन होता है।
कुदरत भी तो खेला करती है होली, बासंती रंगों से, रंगा मधुबन होता है।
दुश्मन को भी, दोस्त बना दे, ये होली, इस दिन मन में, बहुत निरालापन होता है।
सारी उदासी, बह जाती है, रंगों में, चेहरे पे मुस्कान, अल्हादित मन होता है।
जब देवर भाभी, जीजा साली, और समधी, समधन होली खेलें, फिर देखो लोगों, उनमें कितना अपनापन होता है।
नौशाद समझते हैं, जो मतलब, होली का, उनके आंगन में, होली मिलन, होता है।
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🌸 होली का त्योहार चकाचक…
आया है होली का त्योहार चकाचक, आओ सभी मिल के खेलें, होली यार चकाचक।
रंगों की बौछार चकाचक,
होली का त्योहार चकाचक।
कहते हैं सब यार चकाचक,
शायर हूं दमदार चकाचक।
फूल पलाश के कहते हमसे,
आओ कर लें प्यार चकाचक।
प्रेम पियारी का तन रंगने को,
मन मेरा है बेजार चकाचक।
शादी के दस साल हुए पर,
लगती हो कचनार चकाचक।
जीजा, साली, देवर, भाभी, समधन, समधी, जब खेलें होली, तो देखो लोगों, कितना
बढ़ जाता है, दुलार चकाचक।
सारा आलम रंगों में डूबा,
तू भी कर ले प्यार चकाचक।
बरसाने की होली यारों,
कैसी है लठमार चकाचक।
कुदरत है रंगों में डूबी,
तुम भी डुबो यार चकाचक।
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई,
नौशाद ये भी रंगें चार चकाचक।
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•डॉ.नौशाद अहमद सिद्दीकी ‘ सब्र ‘
[मानसरोवर दीनदयाल कॉलोनी, पदूम नगर, पुरानी भिलाई -3 चरोदा, जिला – दुर्ग, छत्तीसगढ़ ]
•संपर्क –
•93015 84627
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