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बिलासपुर : बिलासपुर के ‘ खूंटाघाट ‘ पर्यटन स्थल पर रेस्टोरेंट, ग्लास हाउस निर्माण का चौतरफा विरोध ❓ यह योजना व्यक्तिविशेष की महत्वाकांक्षा है…
’’छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर इन दिनों सुर्खियों में हैं, कारण और वजहे भी हैं। 15 वर्षों के बनवास के बाद यहां का हर सत्ता प्रेमी कांग्रेसी यह चाहता हैं कि अपनी सरकार के रहते जितनी झोली भरना हैं भरो चाहे कुछ भी आड़ा-तिरछा करना पड़े।
’’ज्ञात हो विधायक शैलेष पाण्डे को टिकट मिलने का सबसे प्रबल, विरोध करने वाले, लोकसभा चुनाव में हार का ठीकरा कोनी क्षेत्र के एक जनप्रिय नेता के सिर फोड़ने के बाद भूपेश बघेल सरकार की दयानत से पर्यटनमण्डल में अपनी जगह बनाने वाले कांग्रेस के पूर्व महामंत्री रहे अटल श्रीवास्वत जो कि खुद ही कलोनाईजर और होटल व्यवसाय से जुड़े हैं, अपने इसी विरासत को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से पर्यटन स्थल खंूटाघाट को व्यवासयिक स्थल बनाने सरकार को बाध्य तो नहीं कर रहे हैं, चैतरफा विरोध हो रहे इस रेस्टोरेन्ट और ग्लास हाउस निर्माण में हमारे आसपास वेबसाइट और प्रिंट मीडीया को सूत्रों ने बताया है, इसमें कितनी सच्चाई हैं सरकार खुद संज्ञान लेगी और पर्यटन प्रेमियों के विरोध को नजर अंदाज नहीं करेगी कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले उनके पक्ष में हैं और सरकार को गाईड लाइन से चलकर आम जनता की मनोभाव की कद्र करना कर्तव्य हैं न ही व्यक्ति विशेष की महत्वकांक्षा की पूर्ति। क्योंकि आज भी सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन करने देश का हर नागरिक तैयार रहता हैं ऐसे में घूंटाघाट पर इस प्रकार के निर्माण पर सरकार खुद ही संज्ञान लेकर रोक लगाने आगे आयें। जिससे पर्यटन प्रेमियों की नेक पहल पर क्योंकि सर्वोच्च न्यायलय ने रायपुर के वन्यजीव प्रेमी ने प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि खुंटाघाट जलाशय भारत सरकार द्वारा बनाई गई 2.25 हेक्टर से ज्यादा बड़ी वेटलैंड की सूची में सूचीबद्ध है। इस सूची में देश की 2,01,503 वेटलैंड सूचीबद्ध है।
मान. सर्वोच्च न्यायालय ने एम. के. बालाकृष्णन विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया (डब्लूपीसी 230-2001) दिनांक 8 फरवरी 2017 तथा आदेश दिनांक 6 अक्टूबर 2017 को बार बार कहा है कि भारत सरकार द्वारा सूचीबद्ध 2,01,503 वेटलैंड को उन्हीं सिद्धांतों पर संरक्षित करना है जो कि वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम के नियम-4 में प्रावधानित किए गए हैं।
क्या कहते है वेटलैंड (संरक्षण और प्रबंधन) नियम
वेटलैंड (संरक्षण और प्रबंधन) नियम-4 अनिवार्य करते है कि वेटलैंड में किसी भी प्रकार का स्थाई निर्माण नहीं किया जा सकता। इसके अलावा वेटलैंड का संरक्षण और प्रबंधन युक्तियुक्त उपयोग के सिद्धांत के तहत किया जाना है। युक्तियुक्त उपयोग का मतलब भी नियमों में बताया गया है जिसके तहत वेटलैंड के इकोलॉजिकल चरित्र का रख रखाव करना आता है और वेटलैंड की परिस्थितिकी प्रणाली घटकों (मबवेलेजमउ बवउचवदमदजे), प्रक्रियाओं (चतवबमेेमे) तथा सेवाओं (मतअपबम) का संकलन आता है। खुंटाघाट के द्वीप में बगीचा, ग्लास हाउस, रेस्टोरेंट, पर्यटन विकास कार्य के निर्माण उपरांत खुंटाघाट की परिस्थितिकी प्रणाली घटकों, प्रक्रियाओं तथा सेवाओं का जो संकलन है, वह खत्म हो जायेगा और वहां का वर्तमान इकोलॉजिकल चरित्र समाप्त हो जायेगा। भारत सरकार और छत्तीसगढ़ वेटलैंड अथॉरिटी ने भी लिखा है पत्र
भारत सरकार पर्यावरण, वन एंव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 8 मार्च 2022 को देश की सभी वेटलैंड अथॉरिटी को पत्र लिख कर सर्वोच्च न्यायलय के निर्णय के मद्देनजर देश की सभी वेटलैंड को नियन-4 के तहत संरक्षित करने को आदेशित किया है। बाद में छत्तीसगढ़ वेटलैंड अथॉरिटी ने भी सभी जिला कलेक्टर को भी इस संबंद में उनके जिले की वेटलैंड कि सूची के साथ पत्र लिखा है।
होगा अंतर्राष्ट्रीय संधि का उल्लंघन
पत्र में बताया गया है कि भारत, यूनाइटेड नेशन की कन्वेंशन ऑफ बायोलॉजिकल डायवर्सिटी की 15 वीं बैठक (कुनमिंग) में लिए गए निर्णय से भी बंधा हुआ है। इस बैठक की थीम थी “पृथ्वी पर सभी जीवन के लिए एक साझा भविष्य का निर्माण, प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर रहना।“ इस बैठक में निर्णय लिया गया था कि कोई भी निर्णय लेते वक्त जैवविविधता के संरक्षण और सतत उपयोग को मुख्य रूप से ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जावेगा। खुंटाघाट का इको सिस्टम अपने आप में अत्यंत महत्वपूर्ण है तथा यहां पर बर्ड नेस्टिंग, मगरमच्छ का अंडा देना सहित भरपूर जैवविविधता पाई जाती है जोकि इकोसिस्टम चलाती है। यहाँ किये जा रहे निर्माण और बाद में पर्यटन से जैवविविधता व्यापक रूप से प्रभावित होगी और जैवविविधता का हैबिटैट का नुकसान होगा।
पत्र लिखने वाले रायपुर के नितिन सिंघवी ने बताया कि खुंटाघाट के द्वीप में बगीचा, ग्लास हाउस, रेस्टोरेंट पर्यटन विकास कार्य के निर्माण का निर्णय माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है और कार्यो का अगर क्रियान्वन किया जाता है तो माननीय न्यायालय के आदेश की अवमानना होगी, साथ ही साथ अंतरराष्ट्रीय संधि का भी उलंघन होगा, इसलिए ये निर्माण कार्य नहीं किये जायें।
[ •राजन कुमार सोनी, छत्तीसगढ़ हेड न्यूज़ प्रभारी, ‘ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ ]
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