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गीत : आशा झा
🌸 •आओ चले हम गाँव की ओर
– आशा झा
[ दुर्ग छत्तीसगढ़ ]
शोरगुल भाता नही शहर रास आता नही आओ चले हम गाँव में ।
चहचहाना पंछियों का मन लुभाता रहता है।
सिर पर गठरी लादे पंथी आता जाता रहता है।
कोयल की मीठी कूक सुनना पेड़ में फिर आम चुनना काँटा गड़े न पाँव मे
आओ चले हम गांव में ‘ ।
पीपल का पेड़ राह में लहलहाता रहता है।
राहगीरो को सदा वह बुलाता रहता है।
धूप से वह देता राहत पत्तियों की खड़खड़ाहट सुख चैन मिलता छांव में
आओचले हम गाँव में ।
मीठे कुएं का पानी लाने पनिहारिने जब जाती है ‘ ।
गीत सुंदर गाते गाते मन लुभाती जाती है ‘ ।
घूंघट हवा उठाती जब सूरत हमें दिखाती तब बजते घूंघरू पाँव में ।
आओ चले हम गाँव मे ।
गाँव का चित्र लाये वह यहाँ नही दिखा
कोई भी निराश पंथी अब यहाँ नही बिका ।
स्कूल खुल गये यहां तालाब खुद गये यहाँ सौंदर्य बिखरा गाँव में ।
आओ चले हम गाँव में।
गाँव की महिलायें अब स्वयंसिद्धा बन गई ।
समूह बन गये यहाँ समितियां भी बन गई ।
बच्चे आगे बढ़ गये उन्नति की सीढ़ी चढ़ गये ठहाके गूँजे गांव में।
आओ चले हम गाँव में।
शहर की झलक यहाँ भी आजकल दिखने लगी।
टी.वी. मोबाइल यहाँ भी घर घर में आकर घुस गई ‘ ।
गाँव न बने शहर ढहे न ऐसा कहर
नकल न हो इस ठांव में ।
आओ चले हम गांव में।
•संपर्क –
•96305 19160
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