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- भिलाई : परंपरागत और दुर्लभ वाद्य बनते अपनी आँखों के सामने देख रहे कलाप्रेमी : कुहुकी कला ग्राम मरोदा सेक्टर में 10 दिवसीय लोकवाद्य कार्यशाला जारी…
भिलाई : परंपरागत और दुर्लभ वाद्य बनते अपनी आँखों के सामने देख रहे कलाप्रेमी : कुहुकी कला ग्राम मरोदा सेक्टर में 10 दिवसीय लोकवाद्य कार्यशाला जारी…
भिलाई [छत्तीसगढ़ आसपास] : अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के उपलक्ष में छत्तीसगढ़ शासन संस्कृति विभाग के सहयोग से 10 दिवसीय लोक वाद्य कार्यशाला शिविर संग्रहालय परिसर कुहुकी कला ग्राम मरोदा सेक्टर मैत्री बाग चौक के बाजू में जारी है। विगत 20 वर्ष से जारी इस शिविर में छत्तीसगढ़ अंचल के दूर-दराज से आए कलाकार न सिर्फ अपनी कलाकृतियों और वाद्ययंत्रों का निर्माण कर रहे हैं बल्कि एक दूसरे की कला को सीख भी रहे हैं। वहीं आगंतुक भी अपनी आंखों के सामने बनते वाद्ययंत्र व कलाकृतियां देख मंत्रमुग्ध है। शिविर के माध्यम से शिल्पकारों को बाजार मिलने से सभी संतुष्ट हैं।
आयोजक व प्रख्यात लोकवाद्य संग्राहक रिखी क्षत्रिय ने बताया कि विगत 2003 से यह 10 दिवसीय शिविर हर वर्ष मानसून आगमन के पहले गर्मियों में लगता रहा है। शुरूआती 4 वर्ष उन्होंने स्वयं की पहल से कलाकारों/शिल्पकारों को बुलाकर ऐसा शिविर आयोजन किया था लेकिन बाद में छत्तीसगढ़ शासन ने पहल की और तब से शिविर हर साल आयोजित हो रहा है। रिखी ने बताया कि शिविर की वजह से शिल्पकारों को बाजार मिल रहा है, वहीं सभी को एक दूसरे की कला सीखने का अवसर भी मिल रहा है। इससे शिल्पकार अपनी-अपनी कला में निखार ला रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष 5 जून से शुरू हुई कार्यशाला में प्रतिदिन सुबह 7:00 बजे से 11:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से 7:30 बजे तक कार्य चलता है। पूरी तरह नि:शुल्क इस कार्यशाला में कलाप्रेमी पहुंच कर कलाकृतियां बनते हुए प्रत्यक्ष देख सकते हैं। वहीं समापन अवसर पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होगा। उन्होंने बताया कि शिविर के व्यवस्थित संचालन के लिए टीम से भोजन ब्यवस्था श्रीमती अन्नपुर्णा क्षत्रिय,भोज,जनसंपर्क में गायक कुलदीप सार्वा,अजय उमरे,दिनेश वर्मा,राजेश साहू,नवीन साहू,संजू,नेहा, जया और अनुराधा का विशिष्ट योगदान है –
तैयार हो रहे हैं परंपरागत
व दुर्लभ वाद्य
शिविर में दूर-दराज के अंचल के अलग-अलग गांव से पहुंचे शिल्पकार परंपरागत वाद्ययंत्र तैयार कर रहे हैं। आयोजक रिखी क्षत्रिय ने बताया कि ग्राम दहीकोंगा कोण्डागांव से शीबू कश्यप बेल मेटल से तुरही बनाने का कार्य कर रहे हैं। ग्राम बनबोड (डोंगडगढ) से पन्ना लाल लकडी से मांदर बनाने का कार्य कर रहे हैं। डौडी लोहारा से दीपक तारम लकडी से चटका वाद्य बनाने का कार्य कर रहे हैं। ग्राम रनचिरई (बालोद) से रामकुमार पाटिल तंबूरा लोक वाद्य बनाने का कार्य कर रहे हैं। ग्राम बनिया गांव (कोण्डा गांव) से रामदास विश्वकर्मा लोहे से गुजरी वाद्य और चिटकुली वाद्य बनाने का कार्य कर रहे हैं। ग्राम कुम्हार पारा (कोण्डा गांव से) डमरू चक्रधारी मिट्टी से कुहुकी वाद्य बनाने का कार्य कर रहे हैं। ग्राम पचपेडी (राजनांदगांव) से पन्ना लाल विश्वकर्मा लकडी से बेहद प्राचीन व दुर्लभ वाद्य खंजेरी बनाने का कार्य कर रहे हैं।
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