पिता दिवस पर विशेष : पिता पर दोहे – डॉ. अशोक आकाश [बालोद छत्तीसगढ़]
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पिता घरों का नींव है, पिता हमारी शान।
कड़वा रुखवा नीम का, इसमें सबकी जान।। 1 ।।
कर्म करे जैसा पिता, संतति रंगता रंग।
डोरी थामे हाथ ये, उड़ता चले पतंग।। 2 ।।
जिसका जैसा कर्म हो, वैसा होता साथ।
पिता जुलाहा सा लगे, बुनता सूत कपास।। 3 ।।
पिता आश की जोत है, संतति का विश्वास।
घर का सूरज है पिता, नाता सबसे खास।। 4 ।।
सजग पिता लिखता सदा, बच्चों की तकदीर।
पूत सफल हो तो लगे, पा ली है जागीर।। 5 ।।
कभी पिता फटकार तुम, बुरा न मानो यार।
अंतर हाथ सहार दे, जैसे थाप कुम्हार।। 6 ।।
मात पिता नित सर्वदा, भरे स्वप्न के दाम।
यह साक्षात परमपिता, सादर करो प्रणाम।। 7 ।।
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