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दुर्ग : सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजन : भारत को पुन: विश्वगुरु बनायें – आचार्य डॉ.महेश चंद्र शर्मा
दुर्ग [छत्तीसगढ़ आसपास] : प्रतिभा और ज्ञान-विज्ञान के साथ चौदह विद्या और चौंसठ कलाओं रत देश कहलाता है भारत। ज्ञान – विज्ञान की शिक्षा की वर्षा पूरे विश्व में करने के कारण वह भारतवर्ष भी कहा गया। हमारे ऋषि मुनियों और आचार्यों ने पूरे विश्व को शिक्षा दी महर्षि वेदव्यास जी भी उनमें से एक हैं। चारों वेदों को व्यवस्थित करने के साथ पुराणों की रचना भी उन्होंने की। उनकी रचना महाभारत को केवल युद्ध का ग्रन्थ मान लेना अज्ञानता है। उसमें धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष का भी वर्णन है। ऋषिप्रधान और कृषिप्रधान भारत हमारी संस्कृति की विशेषता है । हमारे सभी पर्व एकसाथ दोनों से जुड़े हैं। ज्ञान -विज्ञान भी अभिन्न हैं। हमारे यहॅॉ गीता में श्रीकृष्ण अर्जुन को ज्ञान -विज्ञान एक साथ समझाने का आश्वासन देते हैं। गुरुत्वाकर्षण और परमाणु वाद भी यूरोप और अमेरिका ने हमारे बाद जाना।आज पूरे यूरोप और अमेरिका में वदो , योग , आयुर्वेद , रामायण और गीता पर शोध हो रहे हैं। ” ये उद्गार साहित्याचार्य एवं शिक्षाविद् डॉ. महेशचन्द्र शर्मा ने वेदव्यास जयन्ती गुरु पूर्णिमा के अवसर पर व्यक्त किये।
ज्ञान -विज्ञान और साहित्य के सन्दर्भ में देश-विदेश के अनेक सफल शैक्षणिक-सांस्कृतिक भ्रमण करचुके आचार्य डॉ. महेशचन्द्र शर्मा सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कसारीडीह दुर्ग में उक्त समारोह में मुख्य अतिथि की आसन्दी से आचार्यों, अभिभावकों, को शिक्षाविदों, प्राचार्यों, विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने आह्वान किया कि आज गुरु पूर्णिमा पर संकल्प लें कि भारत को पुनः विश्वगुरु बनायेंगे।डा.शर्मा का शाल-श्रीफल और पुष्पमालाओं से अभिनन्दन किया गया। प्राचार्या श्रीमती स्मृति शर्मा ने अनेक पुस्तकों के लेखक और वरिष्ठ शिक्षाविद् साहित्याचार्य के रूप में उनका परिचय प्रस्तुत किया। डा.शर्मा ने सरस्वती को ज्ञान -विज्ञान के जलाशयों वाली देवी कहा, उनके जल के विशेष स्नान के बाद ही विश्व विद्यालय स्नातक की उपाधि विद्यार्थियों को देपाते हैं। डा.शर्मा ने इस अवसर पर साहित्य, पर्यावरण और रोज़गार परक सौ पुस्तकें -पत्रिकायें और सामग्रियाॅं भी वितरित कीं , वहीं संस्कृत में बोर्ड परीक्षा में सर्वोच्च 90% अंक लाने वाले छात्र अनिल यदु को नगद पुरस्कार भी दिया। विद्यार्थियों ने संस्था के सभी उपस्थित आचार्यौं – दीदियों का सम्मान शाल-श्रीफल से किया। सांस्कृतिक प्रभारी श्रीमती पूर्णिमा भौमिक ने आभार ज्ञापित किया। वहीं उनके सफल मार्गदर्शन में बहन समृद्धि सिंह चौहान ने सफल संचालन किया। मौके पर समिति के अध्यक्ष अरुण गुप्ता, सचिव अरविन्द सुराणा, सहसचिव श्रीमती रोहिणी पाटणकर, कोषाध्यक्ष पूनम चन्द जैन, सदस्य नरसिंह भूतड़ा, प्रकाश कानावार , कृष्णा देशमुख एवं श्रीमती सावित्री जाधव समेत बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। शान्तिपाठ के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
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