रचना आसपास : बलदाऊ राम साहू
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🌸 मंजिल पाना है
– बलदाऊ राम साहू
[ आदर्श नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़ ]
आगू-आगू चलके भइया मंज़िल पाना हे
लेके सुग्घर भाव जगत मा समता लाना हे।
धरम-जात के झगरा हर बड़का बैरी होथे
ऊँच-नीच के भेद ला हमला झट मिटाना हे।
सोचो मन मा देश हमर आगू कइसे आही
बिना सुवारथ के हमला मनखे-धरम निभाना हे।
राजनीति के चाल-चलन ला, समझे ला परही
जउन मनखे भरमाथे, उनला मजा चखाना हे।
कतको हावय गुलाझांझरी भइया ये जुग मा
धीरे-धीरे सबला अब तो हमला फरिहाना हे।
घाम-छाँव, हवा-पानी सब बर हावय बरोबर
सब ला मिलय रोटी बरोबर बात बताना हे।
•मनखे – धरम = मनुष्यता
•जउन = जो भी
•गुलाझांझरी = उलझा हुआ
•फरिहाना हे = अलग – अलग
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•संपर्क –
•94076 50458
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