हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध गायक स्व. मुकेश कुमार के 100वीं जयंती पर धुन फाउंडेशन रायपुर द्वारा संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया, कार्यक्रम में संस्था के सदस्यों के द्वारा दी गई प्रस्तुतियों ने श्रोताओं का जीता दिल
धुन फाउंडेशन द्वारा रविवार को स्व.मुकेश जी के 100 वीं जयंती पर एक विशेष संगीत कार्यक्रम मयाराम सुरजन हॉल (लोकायन) में ( दिल ने फिर याद किया ) आयोजित किया गया जिसमे से.मुकेश जी के अमर गीतों की प्रस्तुतियों के साथ धुन टीम के सभी बेहतरीन सिंगर्स ने श्रोताओं का दिल जीत लिया। सभी श्रोताओं ने कार्यक्रम का खूब आनंद उठाया ।
धुन फाउंडेशन के डायरेक्टर अजय अडवानी ने बताया की हमेशा की तरह अनुशासन एवं नये नये कलाकारों को मंच देने हेतु कटिबद्ध है। इस बार सारे परिपक्व गायक एवं गायिकाओं ने बेहतर अंदाज में समा बांधा ।
कार्यक्रम का मंच संचालन अपने निराले एवं नये अंदाज में वरिष्ठ उद्घोषक दीपक हटवार के द्वारा किया गया । और साथ में एक गीत सात अजूबे इस दुनिया में की भी शानदार प्रस्तुति दी।
जिन्होंने अपनी प्रस्तुतियां दी उनमे प्रमुख रूप से अजय अडवानी, बाबूलाल प्रजापति,
महेश शर्मा, मनोज शुक्ला, राजुल दवे, जगदीश दुबे, अरश जग्गी , दीपक हटवार, राजेश सिंग, हरीश मखीजा , सुंदर कुकरेजा, हरिओम मखीजा, नरेश कुकरेजा, शिव तंबोली
ऋतु श्रीवास्तव ,रानू गजभिये , शारदा तंबोली
सभी ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी । लोकायन हॉल श्रोताओं से खचाखच भरा रहा ।श्रोतागण द्वारा कार्यक्रम को खूब सराहा गया।
गीत जो प्रमुख रूप से प्रस्तुत किए गये उनमें,
अजय अडवानी :-
आया है मुझे फिर याद, सब कुछ सीखा हमने , मेरा जूता है जापानी, दुनिया बनाने वाले
अजय अडवानी/ऋतु श्रीवास्तव
चल संन्यासी मंदिर में, पानी री पानी, एक मंजिल राही दो , कहीं करती होगी, ये किसने गीत छेड़ा
अजय अडवानी/रानू गजभिये
मैं ना भूलूंगा, ले चल , हम दोनों मिल के
महेश शर्मा – मेरे नैना सावन भादो, क्या यही प्यार है ,तुम कितनी खूबसूरत हो
बाबूलाल प्रजापति – रौशन तुम्ही से दुनिया, मेरे दुश्मन तू मेरी, है दुनिया उसी की
अरश जग्गी – दिल तड़प तड़प के, मैने तेरे लिए ही सात रंग, इक दिन बिक जायेगा
राजुल दवे – तुझ संग प्रीत , थोड़ी सी जो पी ली है, कल की हंसी मुलाकात
राजेश सिंग – आज उनसे पहली मुलाकात,आपकी आंखों में कुछ,
ऋतु श्रीवास्तव – लो आ गई उनकी याद
हरीश कुकरेजा :ओ गोरिया रे , गुंचे लगे हैं कहने
सुंदर कुकरेजा:- दिल है की मानता नहीं, ए काश कहीं ऐसा होता
हरिओम कुकरेजा :- हम बेवफा हरगिज़ न थे, ये रेशमी जुल्फें
नरेश कुकरेजा :मेरी तरह तुम भी, तेरे दर पर ए सनम
शिव/ शारदा तंबोली :- बादल यूं गरजता है, क्या खूब लगती हो
प्रमुख रूप से इन सभी गीतों की प्रस्तुति दी गई श्रोताओं ने कार्यक्रम का देर रात तक जमकर आनंद उठाया। उक्त कार्यक्रम श्रोताओं के लिए निशुल्क था।