ग़ज़ल, मैं समझी थी अक्सर वो आया करेंगे, पता था नहीं दिल दुखाया करेंगे- झरना मुख़र्जी, वाराणसी-उत्तरप्रदेश
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मैं समझी थी अक्सर वो आया करेंगे
पता था नहीं दिल दुखा़या करेंगे।
भले दूर कर दो निगाहों से अपने
मगर हम तो दर पर बुलाया करेंगे।
तेरे वास्ते हर सितम हम सहेंगे
तुझे दर्द दिल को सुनाया करेंगे।
वैसे यह सच है ना कोई किसी का
मुहब्बत का हक हम निभाया करेंगे।
कभी “झरना”को वक्त पर आज़माना। तेरे नाम को गुनगुनाया करेंगे।
कवयित्री संपर्क-
79051 14563