गज़ल : शुचि भवि { दुर्ग छत्तीसगढ़ }
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चंद्रयान
शान मेरी और आन बान, चँद्रयान सँग
देश लिख रहा नया विधान, चँद्रयान सँग
बात गर्व की बहुत है पहुँचे हम भी चाँद पर
अब वहीं बने नया मकान,चँद्रयान सँग
अंतरिक्ष में भी बन रहे हैं हिन्द के निशां
आप देखें अब हमारी शान ,चँद्रयान सँग
तुम छुपाओ लाख किंतु, हमको चाँद है यकीं
राज़ सारे हम भी लेंगे जान , चँद्रयान सँग
खोज अब करेंगे हम, नई नई जो चाँद पर
भूल ‘भवि’ न पाएगा जहान, चँद्रयान सँग
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