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ज्ञान – विज्ञान पूर्ण संस्कृति का रक्षासूत्र है संस्कृत – डॉ. महेशचंद्र शर्मा
भिलाई [छत्तीसगढ़ आसपास न्यूज़] : संस्कृत – संस्कृति और साहित्य एवं ज्ञान -विज्ञान अभिन्न हैं। साहित्य दो विश्वकवि कालिदास जी और तुलसीदास जी शब्द और अर्थ को शिव-शक्ति और सीता-राम मानते हैं। सूर्य, चन्द्र और अग्नि की ऑंखों वाले शिव त्रिनेत्र कहलाते हैं। श्रावण मास शिवकथा, रामकथा और दोनों के भक्तिकाव्यों के श्रवण के लिये समर्पित रहता है। स्वयं गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है कि शिव रामसाहित्य के प्रथम कवि हैं – ” रचि महेश निज मानस राखा। ” रामचरितमानस नाम इसीलिये प्रचलित हुआ।
इधर शिव को चन्द्रशेखर भी कहते हैं। ” इसरो ” के मुख्य वैज्ञानिकों में भी शिवन और सोमनाथ के नाम शिव से प्रेरित हैं। इसलिये चन्द्रयान अवतरण स्थल का नामकरण शिव-शक्ति स्थल करना सार्थक प्रतीत होता है।उधर गायत्री मन्त्र में सूर्य की उपासना करते हैं हम, तो भविष्य में भास्करयान की प्रतीक्षा है। इधर चन्द्रमुखी , सूर्यमुखी और ज्वालामुखी के बिना साहित्य, पर्यावरण और भूगोल विज्ञान अधूरे हैं। गीता में श्रीकृष्ण अर्जुन को ज्ञान के साथ विज्ञान समझाने की प्रतिज्ञा करते हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी हनुमान् और वाल्मीकि को विशुद्ध वैज्ञानिक कहते हैं। ” ये विचार हैं इस्पात नगरी भिलाई के साहित्य – संस्कृति मर्मज्ञ आचार्य डॉ महेशचन्द्र शर्मा के। वे विगत दिवस शासकीय कमलादेवी राठी स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय , राजनाॅंदगाॅंव में संस्कृत विभाग में विद्वान् प्राध्यापकोंऔर छात्राओं को सम्बोधित कर रहे थे। देश-विदेश में अनेक सफल शैक्षिक – सांस्कृतिक भ्रमण करचुके आचार्य डॉ महेशचन्द्र शर्मा विश्व संस्कृत सप्ताह के अन्तर्गत आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि की आसन्दी से बोलरहे थे। आचार्य ने रोज़गार, पर्यावरण और सामान्य ज्ञान पर भी मार्गदर्शन दिया।ज्ञातव्य है आषाढ़ की पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास जयन्ती और गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनायी जाती है। श्रावणी पूर्णिमा महर्षि वाल्मीकि जयन्ती और विश्व संस्कृत दिवस के रूप में भी मनायी जाती है। केन्द्र शासन और राज्य शासन ने रक्षा बन्धन के तीन दिन पूर्व और तीन दिन बाद तक विश्व संस्कृत दिवस मनाने की घोषणा की है। इस अवसर पर आचार्य डॉ शर्मा ने कहा कि संस्कृति-साहित्य और ज्ञान-विज्ञान के लिये संस्कृत रक्षासूत्र है। इस राखी से भारतीय सांस्कृतिक सुरक्षा सम्भव है।
डा.शर्मा ने पुस्तकोपहार भेंट समारोह में स्वलिखित पुस्तक सटीक शुकनाशोपदेश छात्राओं को नि: शुल्क भेंट की। आचार्य डॉ महेशचन्द्र शर्मा कई किताबें विश्वविद्यालय पाठ्यक्रमों में भी निर्धारित हुयीं। स्टाफ और ग्रन्थालय को भी उन्होंने पुस्तकें सौंपीं। मेधावी छात्रा को नगद पुरस्कार भी दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये प्राचार्य डॉ आलोक मिश्र ने डॉ शर्मा के व्यक्तित्व और कृतित्व की सराहना करते हुये संस्कृत की महत्ता पर रोचक जानकारी दीं। प्राचार्य डॉ.मिश्र , संस्कृत विभागाध्यक्षा श्रीमती डा. सुषमा तिवारी एवं छात्राओं ने श्रीफल – पुष्प गुच्छ भेंट कर आचार्य शर्मा का सम्मान किया। डा.सुषमा तिवारी ने आयोजन की भूमिका रखते हुये सफल संचालन किया और छात्रा कु. लक्ष्मी ने आभार ज्ञापन किया। मौके पर बड़ी संख्या में उपस्थित छात्राओं ने देर तक सक्रिय उपस्थिति देकर मार्गदर्शन का लाभ उठाया।
[ •रिपोर्ट, डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी ‘ सब्र ‘ ]
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