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शारदीय नवरात्र पर विशेष : आत्म शक्ति जगाय के महापरब हे नवरात्र – डॉ. नीलकंठ देवांगन
आदि शक्ति के उपासना के परब नवरात्र केवल उत्सव उल्लास ही नोहय, आत्मशक्ति जगाय के महा परब घलो आय | नवरात्र के पावन अवसर मं देवी दुर्गा के नौ रूप के उपासना के विधान हे | ये समय आदि शक्ति के पूजा अर्चना आराधना पूरा श्रद्धा भाव ले किये जाथे | पूजन के संग अपन अंदर के भाव ल आत्मसात करना चाही जेखर ले आत्मशक्ति जाग जाय अउ समा जाय | मन अंतःकरण ल शुद्ध करके , आत्म चेतना ल जगाके ही खुद के शक्ति ल पहिचाने जा सकथे अउ बढ़ाय जा सकथे | तभे अपन जिम्मेदारी ल निभावत जीवन मं सकारात्मक दिशा मं आघू बढ़े जा सकथे |
नवरात्र शब्द दू शब्द ले मिलके बने हे नव अउ रात्र | नव के अर्थ होथे – नौ या नवीन | इहां रात्र के अर्थ होथे – विशेष रात | नवरात्र के मतलब होथे – नौ दिन रात तक चलने वाला परब उत्सव | ये समय रात के बड़ महत्व होथे | येमा रात गिने जाथे | नवरात्र यानी नौ रातों का समूह | नवरात्र के नौ दिन अपन मन के भीतर झांके के समय होथे | मन के ताकत, मानसिक ऊर्जा ल संचय करे के मौका होथे | आज के दौर मं तनाव, दुख, अशांत, हताशा, निराशा अउ अकेलापन के जीवनशैली मं अपन मन ल साधना जरूरी हे जेखर ले भीतरी बल जमा हो सकय | ये नौ दिन अउ नौ रात मं व्रत उपवास के जरिये मन के शक्ति,ऊर्जा जुटाय के अच्छा अवसर मिलथे अउ ध्यान साधना ले येला बढ़ाय जा सकथे |
अमावस्या के रात ले आठे तक या परवा ले नवमीं के दोपहर तक बरत नियम चले ले नौ रात यानी नवरात्र नांव सही हे | अइसे नहीं के दिन के महत्व नइ होवय, ये तो निरंतर आस्था के प्रतीक हे नौ दिन | पुरातन काल ले हमर आस्था ये भाव मारग मं बिना रुके हमेशा चलत आय हे, फेर पांव ह कभू बिराम नइ लेये, चलते गेहे | नवरात्र के ये नौ दिन मं पवित्र वातावरन कुछ अइसे बन जाथे के ये संसार लौकिक ले अलौकिक लगे लगन लगथे काबर के हमर संस्कार अइसने हे | ये हमेशा रहवैया संस्कार हे | हमर भरोसा येला टूटन नइ दय |
साल मं चार नवरात्र – शास्त्र के मुताबिक चार तरह के नवरात्र माने गेहे जउन चैत, असाढ़, क्वांर अउ माघ महीना के एकम ले लेके नवमी तक माने जाथे | ये चारों नवरात्र धर्म, अर्थ, काम अउ मोक्ष के प्रतीक कहलाथें | येमा असाढ़ अउ माघ महीना के नवरात्र गुप्त नवरात्र माने जाथे | गुप्त नवरात्र ह तामसिक क्रिया अउ साधना बर श्रेष्ठ माने जाथे |
बाकी दो नवरात्र यानी चैत अउ क्वांर नवरात्र सात्विक याने गृहस्थ अउ साधु संत मन बर बहुत अच्छा माने जाथे | चैत महीना के अंजोरी पाख के एकम ले शुरू होके नवमी तक चलइया नवरात्र बासंतिक अउ क्वांर महीना के अंजोरी पाख के एकम ले नवमी तक चलइया नवरात्र शारदीय नवरात्र कहलाथे | बासंतिक नवरात्र ल क्वांर नवरात्र, राम नवरात्र , बड़े नवरात्र भी किथें | येखर पूर्णता राम नवमी मं होथे | शारदीय नवरात्र ल चैत नवरात्र, दुर्गा नवरात्र भी केहे जाथे | येखर पूर्णता महानवमी मं होथे | ये नवरात्र मं दुर्गा पूजा के खास महत्व होथे |
चैत नवरात्र – चैत नवरात्र ह तप साधना, सिद्धि अउ अनुष्ठान बर उपयुक्त माने जाथे | मन चाहा फल प्राप्त करे के समय होथे | साधक सिद्धि प्राप्त करे के प्रयत्न मं लग जाथे | ये नवरात्र मं जंवारा बोय के अउ पूजन के विधान हे | भक्ति भाव ले बाजा गाजा के साथ माता के महिमा के जसगान गाय जाथे | महाकाली के उपासना ले सिद्धि प्राप्त करे के अउ महाकाली यंत्र के पूजन करे के उपयुक्त समय माने जाथे | चैत के आठे यानी अष्टमी तिथि साधना बर श्रेष्ठ काल माने गेहे |
क्वांर नवरात्र – ये नवरात्र मं मूर्ति पूजा के विशेष महत्व होथे | पूजा पंडाल मं मां दुर्गा के सिंगार किये, सजे मूर्ति के स्थापना करके विधि विधान ले पूजा सेवा किये जाथे | नौ दिन माता के नव रूप – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कत्यायनी, कालरात्रि, महागौरी , सिद्धिदात्री के पूजा कर शक्ति प्राप्त किये जाथे | पूजा पंडाल अउ माता के रोज अलग अलग रूप मं नवा नवा आकर्षक सिंगार करके पूजा किये जाथे , माता के महिमा के जसगान गाये जाथे | ये समय धन लक्ष्मी प्राप्ति के साथ श्रीयंत्र पूजन के घलो खास महत्व माने जाथे |
नवरात्र मं उपवास जरूरी – नवरात्र ऋतु परिवर्तन के समय होथे |ये समय हमर रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होथे | चैत नवरात्र गरमी के शुरुआत मं आथे | येहा बरसा अउ गरमी के संधि काल होथे | क्वांर नवरात्र सरदी के शुरुआत मं आथे | येहा गरमी अउ सरदी के संधि काल होथे | ये दुनों समय खान पान के विशेष ध्यान रखना जरूरी होथे | ये समय बरत उपवास जरूरी होथे | उपवास से शरीर ल स्वस्थ रखे जा सकथे |
नवरात्र काये? – ऋतु संधि मं शरीर के बीमारी बढ़थे | वो समय स्वस्थ रेहे खातिर ,शरीर ल शुद्ध रखे बर अउ तन मन ल निर्मल अउ पूरा तन्दरुस्त रखे खातिर जउन प्रक्रिया अपनाय जाथे, ओखरे नांव नवरात्र हे | येमा व्रत उपवास रखे जाथे ताकि तन के शुद्धि, मन के शुद्धि अउ बुद्धि के शुद्धि हो जाय |
वैज्ञानिक महत्व – सूरज के किरन दिन मं रेडियो तरंग ल जउन ढंग ले रोकथे, उइसने मंत्र जाप के तरंग मं भी दिन के समय रुकावट पड़थे | रात के महत्व दिन के अपेक्षा अधिक होथे | रात मं संकल्प अउ शक्तिशाली विचार तरंग वायुमंडल मं जादा फैलथे | कार्य सिद्धि अउ मनोकामना पूर्ति संकल्प अनुसार सही समय मं और सही विधि से अवश्य होथे |
रात मं प्रकृति के बहुत सारा अवरोध रुकावट खतम हो जाथे | दिन के समय आवाज लगाय जाय त वो ह जादा दूर तक नइ जाय | उही आवाज रात मं लगाय जाय त वोहा बहुत दूर तक सुनाई देथे |
हिंदू नव वर्ष के शुरुआत नवरात्र से – मान्यता हे के चैत महीना के इही बेरा ब्रह्माजी ह सृष्टि के रचना आरंभ करे रिहिसे | हिंदू नव वर्ष के शुरुवात नवरात्र के इही पावन बेला से होथे | ये समय महाकाली के उपासना अमोघ माने जाथे | ये लिहाज से चैत नवरात्र के खास महत्व हे |
शक्ति पूजा के परब हे नवरात्र – चैत नवरात्र से हिंदू नव वर्ष के शुरुआत होथे | साल भर मां भगवती दुर्गा के कृपा आशीष बने रहय, ये उद्देश्य ले ओखर अनेक रूप के पूजा किये जाथे | घर परिवार मं सुख शांति समृद्धि बरकरार रहय, येखर सेती भक्ति शक्ति जगाय खातिर नवरात्र साधना किये जाथे |
समूह शक्ति जगाय के परब – नवरात्र साधना सामूहिकता के शक्ति जगाथे | येला सामूहिकता के उत्सव भी केहे जाथे | ये उत्सव ल समूह मं मनाय जाथे | संगठन मं शक्ति होथे | एक समय मं एक उद्देश्य बर एक ही मन से जउन काम किये जाथे, ओखर प्रभाव अउ परिणाम असाधारन होथे | नवरात्र हमला सामूहिकता के तरफ प्रेरित करथे | येमा निहित ये प्रेरना ल समझ सकन अउ ओखर अनुसार ये परब ल मना सकन त निश्चित ही ये पर्व सार्थक हो सकथे | हमर जीवन सुख आनंद से भरपूर हो सकथे |
चैत नवरात्र मं न्योति कलश स्थापित किये जाथे, जलाये जाथे | मंदिर मं, घर मं मनोकामना के जोत जलाके, जंवारा बोके भक्ति भाव ले पूजा आराधना किये जाथे | नवरात्र मं घर तीर्थ हो जथे अउ मन मंदिर | वातावरन मं उत्साह उल्लास होथे | शक्ति आराधना के ये पर्व नवरात्र प्राचीन काल से निरंतर चले आवथे | कामना करन के ये पवित्र वातावरन हमर अंतस मं बने रहय अउ हिरदे मं भक्ति के जोत सदा जलत रहय | चेतना जगे रहय | चेतना के उत्सव हे नवरात्र |
शारदीय नवरात्र के नौ दिन आस्था अउ भक्ति के संग साधना के अवसर लेके आथे | मां के नौ रूप के ये दिन आराधना होथे | हर रूप के अपन विशेषता अउ ओखर ले जुड़े गुन के संदेश होथे |
• डॉ. नीलकंठ देवांगन
• संपर्क : 84345 52828
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